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"बेटियों की दहेज़ की व्यवस्था क्या तू करेगा?", ये शब्द थे एक बूढी अम्मा के, जो मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक सभा में उन्हें सुनने आई थीं. मुख्यमंत्री इस सभा में सब लोगो को लड़की बचाने और उनकी हत्या कोख ने ना करने के लिए प्रेरित कर रहे थे.आज भी लोग लड़कियों को एक बोझ समझते है. यह सब जानकर शिवराज सिंह चौहान ने प्रण लिया - "मध्यप्रदेश में बेटियों को वरदान बनाऊँगा." वो आगे कहते है - "मैं दिन-रात उनके कल्याण में लग गया और आज आलम ये है कि मध्यप्रदेश की धरती पर अब बेटियाँ वरदान हैं."
हाल ही में खंडवा जिले में 'लाड़ली बहना महा सम्मेलन' का आयोजन किया गया. मुख्यमंत्री ने इस सभा कि शुरुआत और अंत, ‘ फूलों का तारों का सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है ’ गाने से की. बहनों ने भी अपने लाडले भाई का स्वागत साफा बांध कर और निमाड़ी पहरावनी से किया. प्रारंभ में लगभग एक लाख SHG बहनों ने अपने हाथों से लिखी पातियाँ, मुख्यमंत्री को भेंट की. इस प्रेम भाव को देखकर, मुख्यमंत्री भावुक होकर बोले - "बहनों ने मुझे पाती लिख और राखी बांध कर, मेरे प्रति जो विश्वास जताया है, उसे मैं टूटने नहीं दूँगा. मैं कच्चे धागे के इस बंधन को उम्र भर निभाऊँगा. मैं जियूंगा तो बहनों के लिए और यदि उनके लिए मरना पड़ा तो उसमें भी पीछे नहीं हटूँगा."
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा - "लाड़ली बहना योजना शुरू करने का ख्याल मेरे दिमाग में सबेरे 4 बजे आया, जिसमें मेरी बहनों को हर महीने एक हजार रूपये की राशि दी जाएगी, जिससे वे आत्म-निर्भर बनें ". सुबह यह विचार आते ही सबसे पहले उन्होंने अपनी पत्नी साधना सिंह को इस बारें में बताया और शाम होने तक तो अधिकारीयों के साथ इस योजना कि पूरी रूपरेखा तैयार थी. शिवराज आगे कहते है- "योजना का लाभ प्रत्येक ऐसे परिवार को मिलेगा जिसकी वार्षिक आय ढाई लाख रूपए से कम हो, 5 एकड़ या उससे कम ज़मीन हो और 4 पहिया वाहन न हो. इसके लिए बहन की उम्र 23 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक होना चाहिए. योजना में 30 अप्रैल तक फार्म भरे जाएंगे और 10 जून से खाते में पैसा आने लगेगा."
यह योजना मध्यप्रदेश कि महिलाओं के लिए उठाया गया एक नेक कदम है जिससे उन्हें अपनी ज़िन्दगियों को सवारने का मौका मिलेगा. स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी यह एक अच्छा अवसर है. मध्यप्रदेश के बेटी जब सशक्त बनेगी तो होने वाले बदलाव साफ़-साफ़ दिखेंगे.