"सपना दखने की कोई उम्र नहीं होती."
इसी बात को सच कर दिखाया है "सपना राणा" ने.
सपना राणा आज 41 की उम्र में Himachal pradesh से पहली Army Commanding Officer बनीं हैं.
अभी वें Army Service Corps (ASC) Battalion in the North East से अपने देश को serve कर रहीं हैं.
एक मध्यमवर्गी परिवार से तलूक रखने वाली सपना हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गावं भवानीपुर से आती हैं. सपना राणा के परिवार में उनके पिताजी हैं जो एक स्कूल अध्यापक थे, और माता गृहिणी हैं .उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा सोलन जिले के छोटे से सरकारी स्कूल से पूरी की. बचपन से उनमे कुछ बड़ा कर दिखाने का जज़्बा था और वे बेहद career Oriented भीं थी. उन्होंने इसी mindset के साथ Service Selection Board (SSB) exam 2003 उत्तीर्ण करी मात्र 7 दिन की पढ़ाई में. 2004 में उन्होंने Officers Training Academy, Chennai में as a Lieutenant in the Indian Army ज्वाइन किया.
उन्होंने भी Civil Services का सपना देखा था और उसके लिए पड़ना भी शुरू किआ था पर क़िसमत को कुछ और ही मंज़ूर था उनके लिए.
Colonel सपना कहती हैं- "सोलन के सरकारी कॉलेज से स्नातक होने के बाद, मैंने शिमला के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एमबीए की डिग्री के लिए प्रवेश प्राप्त किया. मैंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन बीच में, मैंने संयुक्त रक्षा सेवाओं की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकादमी चेन्नई में प्रशिक्षण के लिए चयनित हो गया."
उनकी माँ कृष्णा ठाकुर बतातीं हैं की जब सपना गावं में रहती थी तब-
''वहाँ वह खाना पकाती और कॉलेज के पैसे बचाने के लिए पैदल चलती थी. गाँव में जब भी वह होती थी, तो उसे उस समय के सभी काम करने पड़ते थे - पशु-चारा काटना, भैंस को दूधना, एक पौधे की स्टैकिंग करना, और बहुत कुछ. उस से सेना में कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) बनने तक - हमें और क्या चाहिए था.'"
Colonel सपना बचपन से ही उम्दा खिलाड़ी रहीं हैं. उन्होंने स्पोर्ट्स में भी कई Gold Medals जीतें उनकी ट्रेनिंग के दौरान. Cross-country events, obstacle events, and academy endurance training में जीत हासिल करी. वें Army shooting टीम का भी हिस्सा रहीं हैं और microlight pilot and a marathon runner भीं हैं. Colonel Sapna कहतीं हैं- “मेरे दूसरे passions भीं है जैसे की reading and gardening,”
Sapna thakur women empowerment का सहज उदाहरण हैं जो शहर की नहीं बल्कि हर छोटे कसबे और गांव की लड़कियों को सपने दखने और उन्हें हर हाल में साकार करने की हिम्मत,साहस और निडरता से अपने सपनो को पुरे करने की किरण दिखातीं हैं.