दुनिया भर में लोग क्रिकेट (Cricket), फुटबॉल (Football) को इतना महत्व देते है की किसी और खेल के खिलाड़ियों को जानते हुए भी नज़रअंदाज़ करते है. खासकर अगर हम बात करे महिला खिलाड़ियों, की तो आज भी उन्हें वो प्राथमिकता नहीं मिलती जैसी पुरुषों को मिलती है.
' मिलेनियम चाइल्ड ' (Millennium Child) के नाम से जाने जानी वाली डिस्कस थ्रोअर (Discuss Throw) सीमा पूनिया (Seema Punia) ने एक बार फिर देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर सिल्वर मैडल (Silver Medal) जीत कर गौरवान्वित किया. सीमा चार ओलिंपिक (Olympic) में खेल चुकी है. कजाकिस्तान (Kazakhstan) में 1 जुलाई 2023 को आयोजित हुए कोसोनोव मेमोरियल 2023 एथलेटिक्स मीट (Qosanov Memorial 2023 Athletics Meet) में सीमा ने सिल्वर मैडल अपने नाम किया. इसके पहले भी 2014 एशियाई गेम्स (Asia Games) में सीमा ने 57.35 मीटर की दुरी तय करके सिल्वर मैडल जीता था.
सीमा का जन्म के हरियाणा (Haryana) सोनीपत (Sonipat) में 27 जुलाई 1983 को हुआ. सीमा को शुरू से ही दौड़ने और कूदने का शौक था. महज 11 साल की उम्र में उन्होंने खेल जगत में कदम रखा. आमतौर पर लड़कियों को खेल जगत में आना आसान नहीं होता, पर सीमा के परिवार के सदस्य, उनके भाई हॉकी और कुस्ती में पहले से ही खेल की दुनिया में आ चुके थे इसलिए सीमा को खेल जगत में आने में कोई रुकावट नहीं आयी. उन्हें पहले हर्डल्स (Hurdles) और लॉन्ग जम्प (Long Jump) में काफी रूचि थी, पर उन्होंने अपने कोच की सलाह को मानते हुए डिस्कस थ्रो में अपना करियर बनाने का फैसला लिया.
वर्ष 2000 में सीमा पूनिया एंटिल (Seema Punia Antil) ने विश्व जूनियर चैंपियनशिप (World Junior Championship) में गोल्ड मैडल जीता, पर स्यूडोएफेड्रिन ड्रग (Pseudoephedrine Drug) टेस्ट में पॉजिटिव आने के कारण उन्हें चेतावनी देकर उनसे गोल्ड मैडल (Gold Medal) वापस ले लिया गया. सीमा का खेल का सफर इतना आसान नहीं था, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और धैर्य नहीं खोया और अपनी प्रैक्टिस को जारी रखा. उनकी यही मेहनत रंग लाई. वर्ष 2002 में जमैका (Jamaica) के किंग्स्टन (Kingston) में आयोजित हुए विश्व जूनियर चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल (Bronze Medal) जीता. सीमा पूनिया जैसे खिलाड़ी लड़कियों और महिलाओं के लिए मिसाल है.