स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) से आ रहे सामाजिक बदलाव को देखते हुए सरकार ने इन समूहों की संख्या बढ़ाने और महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य तय किया है. समूह दीदियों को लखपति क्लब में लाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) ने आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) के साथ एमओयू (MoU) साइन किया. इस समझौते के तहत दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना (DDUJKY) के तहत आयुष मंत्रालय SHG महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को स्वास्थ्य संबंधी प्रशिक्षण देगा.
इस ट्रेनिंग से ग्रामीण जन पंचकर्म टेक्नीशियन (Panchakarma Technician), पंचकर्म सहायक (Panchkarma Assistant), आयुर्वेदिक मालिशकर्ता (Ayurvedic Masseur), क्षार कर्म टेक्नीशियन (Kshara Karma Technician), कपिंग थेरेपी सहायक (Cupping Therapy Assistant ) बन सकेंगे. 22 हज़ार ग्रामीण गरीब युवाओं को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है. पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य 2024 तक 10 करोड़ महिलाओं को SHG से जोड़ना है. ग्रामीण विकास मंत्रालय नई महिला सखियों को नामांकित करने के लिए सक्रियता से काम कर रहा है. पिछले 9 वर्षों में ग्रामीण गरीब महिलाओं को सशक्त करने के लक्ष्य के साथ 9 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को जोड़ा गया है और 2024 तक ये संख्या 10 करोड़ पार करने की है.
गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने कहा, "यह समझौता महिला स्वयंसहायता समूहों और ग्रामीण गरीब युवाओं को सशक्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. पहले से ज़्यादा संख्या में महिलाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है. हम स्वयंसहायता समूहों को प्राथमिकता देंगे."
अपने भाषण में, आयुष कैबिनेट मंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbanand Sonowal) ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में, भारत ने सफलतापूर्वक कोविड और चिकनगुनिया के खतरे को पार किया है और आयुष ने इन घातक बीमारियों के खतरे के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा, "दोनों मंत्रालय स्वरोजगार की भावना को बढ़ावा देने में सहयोग करेंगे. इससे ग्रामीण युवाओं और महिलाओं का सशक्तिकरण होगा. यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाएगा. मुझे आशा है कि दोनों मंत्रालय ऐसे ही सहयोगों को खोजते रहेंगे, जहां हम समाज के उन्नति के लिए साथ में काम कर सकते हैं."
ये पहल ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को रोज़गार का अवसर देगी और SHG को आय का एक और ज़रिया मिलेगा. ग्रामीणों आत्मनिर्भर बन सकेंगे और रोज़गार की तलाश में उन्हें शहरों की तरफ नहीं आना पड़ेगा.