चूजों की बिक्री चमकी किस्मत

मप्र के कई जिलों में यह कुक्कुट पालन मिसाल बन गया. जहां महिलाएं खुद इसे चला कर आत्मनिर्भर बन गई. झाबुआ, अलीराजपुर, देवास सहित कई जिले में महिलाएं भी पोल्ट्री फॉर्म चला रहीं हैं.

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poultry farming

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घरों में सामान्य तरीके से मुर्गियां पाल कर चूजे और अण्डों का कारोबार का नज़ारा बदल गया. प्रदेशों में सरकारों द्वारा कुक्कुट पालन और इससे जुड़ी योजनाओं को लागू करने के बाद से ही इस तरह के कारोबार से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति में तेज़ी से बदलाव नज़र आने लगा. यहां तक कि इस क्षेत्र में महिलाओं ने भी अपने आर्थिक मजबूती के रास्ते ढूंढ लिए. मप्र के कई जिलों में यह कुक्कुट पालन मिसाल बन गया. जहां महिलाएं खुद इसे चला कर आत्मनिर्भर बन गई. झाबुआ, अलीराजपुर, देवास सहित कई जिले में महिलाएं भी पोल्ट्री फॉर्म चला रहीं हैं. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में यह कुक्कुट पालन महिलाओं के लिए कमाई का जरिया बन गया. सरकारें इस दिशा में ट्रेनिंग कैम्प चला रही साथ ही योजनाओं में छूट का लाभ भी देने के प्रयास कर रही है. 

छत्तीसगढ़ के कोरबा इलाके में महिलाओं ने मुर्गी पालन योजना से अपने कारोबार में हजारों रुपयों का लाभ कमाया. गांव बेमता में महिलाओं ने समूह बना कर पोल्ट्री फॉर्म शुरू किया. महिलाओं को सबसे बड़ी दिक्क्त जगह की थी. शुरुआत में इन्होंने एक छोटे से हॉल में यह पालन  शुरू किया. महिला संघठन और सही योजना के बल पर इन महिलाओं ने केवल छह महीने में दो लाख 80 हजार चूजे बेच दिए. इस कारोबार में उन्हें 60 हजार का मुनाफा हुआ. इस लाभ के बाद महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ गया. इन चूजों की बिक्री से महिलाओं की किस्मत चमक गई.   

इस योजना में महिलाओं ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने हॉल उपलबध करा दिया. कोरबा से इन्क्यूबेटर मशीन खरीदी. महिलाओं ने इस कमाई को बढ़ाने के लिए एकजुट होकर अपनी-अपनी जवाबदारी तय कर ली. इन्क्यूबेटर आ जाने से सही समय चूजे निकले और महिलाओं ने अलग-अलग शहरों में व्यापारियों से मिलकर सौदे तय किए. और हजारों रुपए कमाए. जिले के सहायक कलेक्टर जयंत नाहटा ने महिलाओं के प्रयासों की तारीफ की और प्रशासन की ओर मदद का भरोसा दिलाया. ये महिलाएं कुक्कुट पालन में अपने नाम कमा चुकी हैं.

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