किसानों के लिए वरदान बनेगा 'वाडी प्रोजेक्ट'

‘नाबार्ड’ के साथ ‘डालमिया भारत लिमिटेड’ की ‘कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी शाखा’, ‘डालमिया भारत फाउंडेशन’, द्वारा शुरू की गई 'वाडी परियोजना' से ओडिशा में राजगंगपुर और कुटरा ब्लॉक की 9 ग्राम पंचायतों के 400 से ज़्यादा किसानो को मदद मिलेगी.

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रिसिका जोशी
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Wadi Project

Image Credits: Orisha Diary

भारत की आधी से ज़्यादा जनसँख्या खेती-बाड़ी से किसी ना किसी रूप में जुड़ी हुई है. ऐसे देश में जहां इतनी बड़ी संख्या में लोग खेती करते हों, वहां सरकार को आए दिन ऐसे परियोजनाएं लानी पड़ती है, जो किसान, महिलाएं, और इनके परिवारों को सशक्त और सक्षम बनाकर आगे बढ़ने में मदद करे. इन्हीं परियोजनाओं में एक और नाम जोड़ने के लिए ‘नाबार्ड’ (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) के साथ ‘डालमिया भारत लिमिटेड’ (डीबीएल) की ‘कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी शाखा’ (सीएसआर), ‘डालमिया भारत फाउंडेशन’ (डीबीएफ), द्वारा शुरू की गई 'वाडी परियोजना' से ओडिशा में राजगंगपुर और कुटरा ब्लॉक की 9 ग्राम पंचायतों के 400 से ज़्यादा किसानो को मदद मिलेगी. 

मुख्य रूप से, भारत में आदिवासी समुदाय अपनी आजीविका के लिए कृषि, वनों और पशुओं पर निर्भर हैं और विकास के लिए संसाधनों तक उनकी पहुंचना के बराबर  है. जनजातीय विकास कोष (टीडीएफ) के तहत ‘वाडी परियोजना’ का उद्देश्य स्थायी कृषि प्रथाओं और स्थायी आजीविका के बेहतर अवसरों पर ध्यान देने के साथ आदिवासी किसानों का विकास करना है. ‘डीबीएफ’ ने वित्त वर्ष 23-24 में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है, जनजातीय विकास में मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना और इन गांवों में किसानों की गरीबी को कम करना है.

डीबीएफ और नाबार्ड इस परियोजना नें किसानों को शामिल करने के लिए ग्राम पंचायतों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराएं है. डीबीएफ उच्च उपज वाले बीज, ग्राफ्टेड प्लांट, सिंचाई, GI मेस वायर फेंसिंग के साथ-साथ वाडी विकास और सब्जी की खेती के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करता है. यह प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), सुंदरगढ़ और अन्य सलाहकार प्रशिक्षकों के वैज्ञानिकों द्वारा आयोजित किया जाता है. किसानों को विभिन्न गांवों में किसान उत्पादक संगठन की सामूहिक मार्केटिंग के माध्यम से अपनी उपज बेचने में भी सहायता प्राप्त की जा रही है. इससे उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने और अपने परिवारों के कल्याण में सुधार करने में सहायता मिलेगी. 

इनमें स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए सशक्तिकरण कार्यक्रम, जैसे प्रशिक्षण, कौशल विकास, आय-सृजन कार्यक्रम जैसे बकरी पालन, सुअर पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, केंचुआ पालन, सामुदायिक नर्सरी आदि शामिल हैं. यह पहल स्वयं सहायता समूहों और किसान परिवारों को आगे बढ़ाने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है. ओडिशा सरकार की यह पहल स्वावलम्बी भारत की तरफ एक और कदम है. सरकारों को किसानो और स्वयं सहायता समुह को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार की परियोजनाएं लाते रहना चाहिए. किसान और महिलाओं का विकास इसी प्रकार मुमकिन होगा.

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