भारत में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नई दिशा देने के उद्देश्य से आयोजित दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वॉश (एफएनएचडब्ल्यू) पर राष्ट्रीय सम्मेलन का हाल ही में समापन हुआ. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता और गतिविधियों को बढ़ावा देना था.
सम्मेलन का महत्व
केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर अपने मुख्य भाषण में कहा कि देश की बेटियों की क्षमता के माध्यम से विकसित भारत को साकार किया जा सकता है. उन्होंने स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह पहल लाखों महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगी.
एफएनएचडब्ल्यू: एक क्रांति
एफएनएचडब्ल्यू सिर्फ एक रणनीति नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में एक क्रांति है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मजबूत महिलाएं, मजबूत परिवार और मजबूत भारत का निर्माण करेंगी. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा.
स्वयं सहायता समूह की भूमिका
सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मार्ग में स्वयं सहायता समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इन समूहों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, पोषण और आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री चरणजीत सिंह ने सम्मेलन के तीन मुख्य शब्दों- संगठन, समृद्धि और स्वास्थ्य पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 91 लाख स्वयं सहायता समूहों में 10 करोड़ महिलाओं की सामूहिक भावना संगठन का प्रतीक है, जबकि आर्थिक परिवर्तन और स्वास्थ्य संगठन और समृद्धि के बीच की कड़ी है.
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सभी ने मिलकर ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और गरीबी को समाप्त करने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की. सम्मेलन का समापन इस दृढ़ संकल्प के साथ हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा, जिससे पूरे भारत में समृद्ध और सहनशील समुदायों का निर्माण हो सकेगा.