महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) देश के आगे बढ़ने का पक्का रास्ता है. यह तय है कि जिस दिन हर महिला पूरी तरह से अपने पैरो पर खड़ी हो गयी उस दिन विकास निश्चित है. महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक, और पारिवारिक मज़बूती उनका भविष्य उज्जवल करेगी. बस इसी सोच के साथ Chhattisgarh government ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनके स्वावलंबन की नीति अपनाई है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की पहल पर महिलाओं की रचनात्मक क्षमता को बढ़ाने के साथ उनकी सृजन क्षमता को स्थानीय संसाधनों के साथ जोड़ा गया है. महिलाओं की व्यक्तिगत, सामाजिक, और आर्थिक स्थिति से जुड़ा यह विषय उनके लिए विकास के नयी परिभाषा बनेगा.
नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा जारी वर्ष 2020-21 की India Index Report के अनुसार Gender Equality में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर था. कुपोषण और एनीमिया से लड़ाई में भी छत्तीसगढ़ को बड़ी सफलता मिली. छत्तीसगढ़ में शुरू हुए 'मुख्यमंत्री सुपाषण अभियान' (Chief Minister's Goodwill Campaign) से अब तक 50 लाख महिलाएं एनीमिया मुक्त हो चुकी हैं. एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत बच्चों, किशोरों, गर्भवती तथा शिशुवती महिलाओं को IFA (Iron Folic Acid) सप्लीमेंट्स उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है. छत्तीसगढ़ में महिलाओं की प्रगति के लिए अपनाई गई नीतियों के वजह से ही वनोपज के कारोबार से 50 हजार से ज़्यादा महिलाएं जुड़कर राज्य की आर्थिक उन्नति में अपना योगदान दे रहीं हैं. वहीं जिला खनिज न्यास निधि बोर्ड में ग्रामीण महिलाएं, ग्राम सभा सदस्यों के रूप में खुद के लिए नीतियां भी तैयार कर रही हैं. प्रदेश में करीब 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क शुरू किए गए, जहां महिलाओं को रोजगार और आय मिल रही है. महिलाओं को बैंकिंग प्रक्रिया से जोड़ने लगभग चार हजार बहनें बीसी सखी के रूप में चलते-फिरते बैंक के रूप में बैंकिंग सुविधाएं दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचा रही हैं. 'छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान' से करीब 27 लाख गरीब परिवारों की महिलाएं 02 लाख 54 हजार स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं. 'गोधन न्याय योजना' के तहत गांव-गांव में बनाए गए गौठानों में लगभग 45 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है. बस्तर के आदिवासी जिले दंतेवाड़ा की डेनेक्स गारमेंट फैक्टरी में काम कर रही महिलाओं ने देश-विदेश में डेनेक्स ब्रांड को लोकप्रिय बनाया है.
महिला Self Help Groups को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से समूह द्वारा लिए गए पुराने 12 करोड़ रूपये के ऋण माफ कर दिये हैं. साथ ही ऋण वापस लौटने की सीमा को भी दो से चार गुना कर दिया. महिला कोष द्वारा दिए जाने वाले ऋण सीमा में भी दोगुनी वृद्धि की गई है. वर्ष 2023-24 में महिला कोष के लिए 25 करोड़ रूपए का वार्षिक बजट उपलब्ध कराया गया है. नई 'कौशल्या समृद्धि योजना' शुरू करने की योजना है, इसमें महिलाओं को व्यवसाय के लिए आसान शर्तों पर 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाएगा. इसके लिए 25 करोड़ रूपए का बजट अतिरिक्त रूप से स्वीकृत किया है. छत्तीसगढ़ पुरे देश में एक मिसाल के रूप में आगे आया है. महिला सशक्तिकरण पर बिना रुके इतना काम करना सच में सराहनीय है. छत्तीसगढ़ सरकार से पुरे देश को सीखना चाहिए और महिला सशक्तिकरण के लिए बिना रुके काम करना चाहिए.