हाल ही में UNDP (United Nations Development Programme) ने 2023 'जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स (Gender Social Norms Index) ब्रेकिंग डाउन जेंडर बाइसेस: शिफ्टिंग सोशल नॉर्म्स टुवर्ड्स जेंडर इक्वालिटी' नाम से एक रिपोर्ट जारी की. GSNI 91 देशों की और दुनिया की करीब 85 % आबादी के डेटा पर आधारित है. जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स (GSNI) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट है जो लैंगिक समानता (gender equality) पर सामाजिक मानदंडों (social norms) के प्रभाव को नापति है और लैंगिक असामनता (inequality) की वजहों को समझने की कोशिश करती है. रिपोर्ट (report) ने बताया कि दुनिया भर के पुरुषों और महिलाओं दोनों में से 90% या दुनिया भर में लगभग 10 में से 9 पुरुषों और महिलाओं में महिलाओं के खिलाफ "कम से कम एक” मौलिक पूर्वाग्रह या बायस (bias) है. सर्वे (survey) किए गए 38 देशों में, "कम से कम एक पूर्वाग्रह" वाले लोग 86.9% से घटकर केवल 84.6% रह गए.
रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले एक दशक में महिला अधिकार समूहों (Women's rights groups) और सामाजिक आंदोलनों में बढ़ोतरी के बावजूद, जेंडर इक्वालिटी की दिशा में प्रगति रुक गई है. सांस्कृतिक बायस (cultural bias) के साथ-साथ सामाजिक बायस (social bias) "गहराई से समाये” हैं जो महिला सशक्तिकरण (women empowerment) में बाधा बने हुए हैं. दुनिया के लगभग आधे लोगों का मानना है कि पुरुष महिलाओं की तुलना में बेहतर राजनीतिक नेता बनते हैं, और पांच में से दो लोगों का मानना है कि पुरुष महिलाओं की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अधिकारी बनते हैं.
1995 के बाद से राज्य के प्रमुखों या सरकार के प्रमुखों के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 10% रही है और श्रम बाजार में महिलाएं प्रबंधकीय पदों के एक तिहाई से भी कम पर कब्जा कर सकी हैं. यह भी पता चला कि महिलाएं पहले से ज़्यादा कुशल और शिक्षित हुई हैं, फिर भी 59 देशों में जहां महिलाएं अब पुरुषों की तुलना में अधिक शिक्षित हैं, पुरुषों की तुलना में आय में लैंगिक असामनता 39% है. जिन देशों में महिलाओं के खिलाफ बायस ज़्यादा है, वहां महिलाएं अवैतनिक देखभाल कार्य पर पुरुषों की तुलना में 6 गुना ज़्यादा समय बिताती हैं.
केवल 27% लोगों का मानना है कि महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिलना लोकतंत्र (democracy) के लिए ज़रूरी है. 25% लोगों का मानना है कि पति का अपनी पत्नी की पिटाई करना उचित है. 28% रेस्पोंडेंट्स (respondents) का मानना है कि पुरुषों के लिए विश्वविद्यालय जाना और उच्च शिक्षा (higher education) हासिल करना ज़रूरी है.
दक्षिण एशियाई देशों में, खासकर भारत (India) में महिलाओं को ज़्यादा सहयोग की ज़रुरत है. 2021 में भारत में महिलाओं की प्रति व्यक्ति आय (per capita income) पुरुषों की आय का केवल 21.4 % थी. इसके विपरीत, केन्या, कांगो, दक्षिण सूडान, युगांडा, जिम्बाब्वे आदि जैसे कई अफ्रीकी देशों में यह 75 % के उच्च स्तर पर थी.
यूएनडीपी (UNDP) में स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप एडवाइज़र और रिपोर्ट के सह-लेखक हर्बेर्तो तापिया (Heriberto Tapia) ने पिछले एक दशक में सुधार की डिग्री को "निराशाजनक" बताया. दुनियाभर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन आंकड़ों को बदलने के लिए ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाना और बायस को इक्वलिटी (equality) में बदलना ज़रूरी है.