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शक्ति के प्रतीक हनुमान के चरणों में बैठकर भक्तजन कोई एक या दो साल से नहीं बल्कि लगातार 48 सालों से अखंड रामायण पाठ कर रहे हैं. इस मंदिर का अपना पौराणिक इतिहास है. यहां सालों से हो रहे अखंड रामायण की प्रस्तुति को लंदन गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल कर लिया. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के जंगल क्षेत्र में बसे काटकूट गांव का यह अखिलेश्वर (ओखलेश्वर) मंदिर अपने आप में अनूठा और चमत्कारी है. यहां हर 27 दिन में चोलावतरण किया जाता है.
यहां पर विराजित हनुमान मूर्ति की भी खासियत है, जिसमें भक्त हनुमान को खड़ी मुद्रा और हाथ में चांदी के शिवलिंग लिए दिखाया गया है. इन विशेषताओं की वजह से ही इस मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां के पुजारी पंडित सुभाष पुरोहित कहते हैं -"दो मई 1976 में यहां अखंड रामायण की शुरुआत की. ऐसी की कल्पना नहीं थी इस अखंड रामायण में भक्त जुड़ते चले जाएंगे. यहां चौबीसों घंटे रामायण पाठ और धुन चलती है. यह प्रभु हनुमान का ही चमत्कार है कि अड़तालीस सालों से यहां यह क्रम चल रहा है.और लंदन वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया."
त्रेता युग की मान्यता है कि कैलाश पर्वत से शिवलिंग लेकर लौटते हुए श्री हनुमान कुछ देर यहीं ठहरे थे. वे पहुंचते इसके पहले रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना कर दी. तमिलनाडू के धनुषकोटि के एक मंदिर में यह शिवलिंग स्थापित है, जिसे अतः के साथ पूजा जाता है. विद्वानों का कहना है कि नर्मदा पुराण में इस प्रसंग का ज़िक्र है.