भारत में हर राज्य साफ़ सफाई को लेकर बहुत सी पहले कर रहा है, केंद्रीय सरकार का स्वछता अभियान पुरे देश में एक लहर बनकर फ़ैल चूका है. प्रधानमंत्री का विचार देश के हर व्यक्ति और केंद्रीय सरकार ने बहुत गंभीरता से अपनाया है, और इस पर अपने लेवल्स पर काम भी कर रहे है. ओडिशा ने हाल के वर्षों में सुरक्षित रूप से प्रबंधित, समावेशी जल और स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने में तेजी से प्रगति की है और इस क्षेत्र में आगे आ चूका है। सिर्फ साफ़ सफाई ही नहीं बल्कि अपने कर्मचारियों का भी उतना ही ख्याल रख रहा है.
आवास और शहरी विकास विभाग ने अपने कार्यकर्ताओं पर ध्यान देते हुए और उनको सशक्त करने के लिए 2020 में GARIMA स्कीम लांच की है. यह 20,000 स्वच्छता कर्मचारियों के कल्याण और सम्मान को सुरक्षित करने के लिए एक अनूठी योजना पहल है.
Image Credits: The Guardian
खतरनाक कामकाजी स्थितियाँ जिनमें सीवर, नालियों, आदि के आसपास काम होते है, इसके लिए, GARIMA योजना ने एक कॉर्पस फंड बनाया है. इस फण्ड में 50 करोड़ रूपए जमा किये गए है जो स्वच्छता कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करेंगे. इसके अलावा इस योजना में कर्मचारियों को 5 कैटेगरीज़ में भी बाटा गया है. ओडिशा यह प्रगतिशील कदम उठाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है.
भुवनेश्वर ने शहर में सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई के मशीनीकरण की महत्वपूर्ण पहल की है. समय-समय पर निगरानी भी की जा रही है. पिछले कुछ सालों से ओडिशा की सरकार स्वयं सहायता समूहों (SHG) को अपने इन मिशन्स पर लगा रही है. महिलाओं और ट्रांस व्यक्तियों के लगभग 3,410 Self Help Groups स्वच्छता की इस राह पर ओडिशा सरकार के साथ लगे हुए है.
Image Credits: Mint
कटक शहर (कटक नगर निगम) में SeTP (60 KLD कपैसिटी को- ट्रीटमेंट प्लांट) को जून 2020 में संचालन और रखरखाव के लिए ट्रांस समुदायों के लिए एक SHG को सौंप दिया गया था। तब से, समूह सफलतापूर्वक उसके काम का प्रबंधन कर रहा है. वेस्ट सेग्रिगेशन के लिए बैटरी से चलने वाले वाहनों का प्रबंधन, माइक्रो-कंपोस्टिंग केंद्रों का संचालन और रखरखाव, संपत्ति करों का संग्रह, आदि सब कुछ यह ट्रांस समुदाय कर रहा है. इसी तरह का एक मॉडल पुरी जिले के निमापाड़ा शहर में लागू किया गया है, जहां सात ट्रांस व्यक्तियों का SHG प्रबंधन कर रहा है.
ओडिशा सरकार की यह पहल एक बहुत ही ज़्यादा सराहनीय कदम है, भारत में ट्रांसजेंडर को आज भी औरों के मुकाबले कम समझा जाता है, लेकिन ओडिशा सरकार ने उन्हें यह मौका देकर, देश एक सबक दिया है. हर राज्य सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए ताकि ट्रांस और महिलाओं का सशक्तिकरण तेजी से आगे बढ़े.