पेड़ लगाकर बचा रहे मैंग्रोव वन

तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के तटीय क्षेत्र में फैले बड़े मैंग्रोव जंगल सिकुड़ रहे हैं. वजह है इंसानों का इन जंगलों को शोषण करना और जलवायु परिवर्तन होना. वन विभाग वृक्षारोपण अभियान के ज़रिये कमी को दूर करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है.

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mangrove forest

Image Credits: Indian Express

तमिलनाडु (Tamilnadu) के रामनाथपुरम (Ramanathapuram) जिले के तटीय क्षेत्र में फैले बड़े मैंग्रोव जंगल (mangrove forest) सिकुड़ रहे हैं. वजह है इंसानों का इन जंगलों को शोषण करना और जलवायु परिवर्तन होना. वन विभाग वृक्षारोपण अभियान (Plantation drive) के ज़रिये कमी को दूर करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है. हालांकि, इन उपायों की सफलता दर केवल 40% देखी गई है. वर्तमान में, मैंग्रोव वन रामनाथपुरम जिले में लगभग 607 हेक्टेयर में फैले हुए हैं. मैंग्रोव वन ऐसे तटीय क्षेत्रों में होते हैं जहां कोई नदी किसी सागर में बह रही होती है, जिस से जल में मीठे पानी और खारे पानी का मिश्रण होता है.

मैंग्रोव वन समुद्री तट की रक्षा करते हैं. ये ज्वार, तूफानी लहरों आदि से समुद्री कटाव को कम करते हैं. मिट्टी को रोक कर रखते हैं. पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं. ये जंगल सालाना बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों को भी आकर्षित करते हैं. वन विभाग के अनुसार, एविसेनिया मरीना रामनाथपुरम जिले में मौजूद एकमात्र मैंग्रोव वन है. यह जंगल कन्नमुनई, मुथुरगुनथपुरम, सांबाई, थिरुपलाइकुडी, गांधीनगर, रेटाई पालम, मोरपन्नई, कदलूर, करंगडु, पुथुपट्टिनम और जिले में देवीपट्टिनम से एसपी पट्टीनम तक तटीय क्षेत्रों में फैला हुआ है. वन विभाग मैंग्रोव पेड़ों की खोज के लिए पर्यटकों के लिए करंगडु क्षेत्र में एक विशेष नाव की सवारी का आयोजन कर रहा है.

वन विभाग (Forest Department), मन्नार बायोस्फीयर रिजर्व ट्रस्ट (GUMBRT) की खाड़ी, और जिला प्रशासन द्वारा जिले में मैंग्रोव कवर को बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की जा रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में, 50 हेक्टेयर से ज़्यादा क्षेत्र में 'मॉडिफाइड मछली की हड्डी स्ट्रक्चर' के अनुसार नए पौधे लगाए गए हैं. रामनाथपुरम रेंज में लगभग 35 हेक्टेयर और थूथुकुडी रेंज में 15 हेक्टेयर में पौधे लगाएं. इस वर्ष, 20 और हेक्टेयर में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा. जिले में गंभीर जलवायु परिवर्तन के कारण, वृक्षारोपण अभियान में केवल 40% सफलता दर देखी गई. 

लोगों ने पिछले दशकों में जलाऊ लकड़ी और मवेशियों के चारे के लिए मैंग्रोव को काटा. करंगडु में लम्बे समय से चल रहे जागरूकता अभियान ने लोगों को मैंग्रोव वनों के पर्यावरणीय लाभों का एहसास करवाया. वन विभाग के साथ जिला प्रशासन मैंग्रोव वनों को संरक्षित करने के लिए करंगडु में पौधों की नर्सरी को बढ़ावा दे रहे हैं. पिछले साल, मनरेगा श्रमिकों ने नर्सरी के ज़रिये लगभग 70 हज़ार पौधों का रखरखाव किया. इस साल भी इस प्रक्रिया को दोहराया जायेगा. 

रामनाथपुरम जिले ने साबित किया है कि जागरूकता फैलाकर पर्यावरण संरक्षण को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकता है. भारत में कई तरह के जीव-जंतु और पेड़-पौधे घर करते हैं, जिन्हें विलुप्त होने से बचाने की ज़रुरत है. देश के और भी राज्य रामनाथपुरम जिले से सीख लेकर  पर्यावरण संरक्षण के काम को गति दे सकते हैं.  

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