कुछ साल पहले तक टीबी का नाम सुनते ही लगता था मानों ज़िंदगी ख़त्म. अब मेडिकल साइंस की तरक्की की बदौलत आज हालात बेहतर है पर अभी भी हम भारत को टीबी मुक्त नहीं करा पाए. दुनिया के लगभग एक-चौथाई टीबी मरीज़ भारत में हैं जिनकी संख्या करीब 27 लाख है. गरीबी और कुपोषण टीबी के दो बड़े कारण हैं. आर्थिक रूप से कमज़ोर आबादी में यह बीमारी आम है. भारत सरकार ने टीबी से निपटने के लिए संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) और तपेदिक उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय सामरिक योजना (NSP) सहित कई पहलें शुरू की.
टीबी की जागरूकता फैलाने और मरीज़ों तक स्वस्थ्य सेवाओं पहुंचने में गैर सरकारी संस्थाओं और स्वसहायता समूह (SHG) ने बड़ा योगदान दिया. SHG सदस्यों को टीबी जागरूकता, मरीज़ का पता लगाने और उपचार के पालन को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में NRLM ने ट्रेनिंग दी. इन महिलाओं ने घर-घर जाकर मरीज़ों को समय पर उपचार देने में मदद की. भारत में टीबी नियंत्रण को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें निदान और उपचार तक बेहतर पहुंच, टीबी के सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करना और टीबी नियंत्रण प्रयासों में SHG जैसे समुदाय आधारित संगठनों को शामिल करना शामिल है.
Image Credits: Narendra Modi (Youtube Account)
टीबी पर पूर्ण विराम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व टुबरक्लोसिस दिवस पर 'वन वर्ल्ड टीबी समिट' को संबोधित किया. इस समिट में 30 से अधिक देशों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस समिट को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप ने काशी में आयोजित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने टीबी-मुक्त पंचायत की पहल को हरी झंडी दिखाई जिसमे गांव के प्रतिनिधि संकल्प लेंगे कि उनकी पंचायत में कोई टीबी का मरीज़ न हो. प्रधानमंत्री ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया. जबकि टीबी फ्री होने का ग्लोबल टारगेट 2030 है.
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अभी तक 75 हज़ार मरीज़ों के बैंक खातों में 2 हज़ार करोड़ रुपयों की सहायता पहुंच चुकी है. टीबी से लड़ने के लिए भारत ने मरीज़ों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा, लैब्स की संख्या बढ़ाई, नई ट्रीटमेंट प्रणाली बनाई जिसमे 6 की जगह 3 महीने का ट्रीटमेंट दिया जायेगा और हफ्ते में बस 1 बार दवा लेनी होगी और साथ ही निक्षय पोर्टल बनाया. टीबी के खिलाफ ऐसा मॉडल बनाने वाला भारत पहला देश बना. कर्नाटक और जम्मू कश्मीर को टीबी फ्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नया मॉडल है. पीएम मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत हमेशा ग्लोबल गुड के लिए कमिटेड है और कहा, "Yes, we can end TB", " टीबी हारेगा, भारत जीतेगा"