कम्पीटीशन के इस दौर में मार्केटिंग हो या कुछ खरीदना हो, हर काम में दूसरों से खुदको बेहतर साबित करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. इस दौड़ में कहीं ग्रामीण परिवेश के व्यवसायी पीछे न रह जायें, इसके लिए सरकार ने कुछ ठोस कदम उठाये हैं. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचायत स्तर पर सार्वजनिक खरीद के लिए ई-ग्रामस्वराज और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल का उद्घाटन किया. इससे पंचायतें ईग्राम स्वराज प्लेटफॉर्म का लाभ उठाकर जीईएम के ज़रिये अपने सामान और सेवाओं को सरकार को बेच सकेंगे. इस पहल से पंचायतों को डिजिटल खरीद और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, और उनके लिए नए बाज़ार खोलकर लोकल दुकानदारों और छोटे विक्रेताओं को भी लाभ मिल सकेगा. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और उद्यमशीलता को काफी बढ़ावा मिलेगा और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को भी मजबूती मिलेगी.
लगभग 60,000 के जीईएम के यूज़रबेस को बढाकर 3 लाख से अधिक करने का गोल सेट किया गया है. प्रक्रिया को डिजिटल बनाकर पंचायतों द्वारा खरीद में पारदर्शिता आ सकेगी, जो कि पंचायतों की मांग थी. लोकल विक्रेताओं जैसे दुकानदारों, स्वयं सहायता समूहों, और सहकारी समितियों को जीईएम पर पंजीकरण करना होगा जिसके बाद पंचायतें बड़े पैमाने पर इनसे खरीद कर सकेंगी. साथ ही ऐसे वेंडर्स द्वारा ऑनलाइन बिक्री करने से उनके लिए नए ग्राहकों तक पहुंच हो सकेगी.
जीईएम के उपयोग से सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) का पालन होगा, मनमाने तरीके से ठेके देने पर रोक लगेगी, और वेंडरों को समय पर भुगतान मिलेगा. पंचायतों के पास कम दाम में अच्छी क्वालिटी का सामान या सेवाएं डोरस्टेप डिलीवरी पर पहुंचेंगी. ई ग्रामस्वराज प्लेटफॉर्म को 2020 में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर लॉन्च किया गया था. इसे पंचायतों के पूरे दिन के कामकाज के लिए सिंगल-विंडो के रूप में डिज़ाइन किया गया था. 2.3 लाख ग्राम पंचायतें और लोकल बॉडीज ऑनलाइन भुगतान के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
ई ग्रामस्वराज और जीईएमका एकीकरण ऑनलाइन खरीद के लाभों को शासन के सबसे निचले स्तर तक ले जाएगा और यह केवल केंद्र/राज्य सरकार के मंत्रालयों और विभागों तक ही सीमित नहीं रहेगा. इससे न केवल डिजिटल इंडिया का सपना साकार होगा पर लोकल दुकानदारों और स्वयं सहायता समूहों को मार्केट तक पहुंच मिल सकेगी.