विश लिस्ट में सबसे ऊपर अच्छी सेहत और फिटनेस ही होती है खासकर कोविड के बाद. जिसके लिए नुट्रिशन की सही समझ होना ज़रूरी है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और हेल्थी ईटिंग हैबिट्स को बढ़ावा देने के लिए पोषण पखवाड़ा शुरू किया. जन आंदोलन और जन भागीदारी की मदद से इस लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है. पोषण पखवाड़े की थीम रखी गई 'सभी के लिए पोषण: स्वस्थ भारत की ओर एक साथ'. पोषण पखवाड़े का फोकस कुपोषण को दूर करने के लिए मिलेट्स यानी 'श्री अन्ना' को लोगों की पसंद बनाना है. इसके साथ ही इन 15 दिनों के दौरान स्वस्थ बालक स्पर्धा का सेलिब्रेशन और सक्षम आंगनवाड़ियों को बढ़ावा देना भी शामिल है.
इस दिशा में स्वयं सहायता समूह देशभर में लम्बे समय से काम कर रहे हैं. स्कूली बच्चों को मिड डे मील यानी मध्यान भोजन परोसने में SHG महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है. महाराष्ट्र राज्य में स्कूली बच्चों के लिएमिड डे मील तैयार करने के लिए स्वयं सहायता समूहों की करीब 97,000 से अधिक महिलाओं को शामिल किया. कोलकाता में 84,000 स्कूलों के 1.2 करोड़ से अधिक छात्रों के मिड डे मील पकाने के लिए सामग्री खरीदने और पकने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को देने का फैसला लिया. आज कई राज्यों में ये समूह मध्यान भोजन बना रहे हैं. साथ ही मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के लिए ये स्वयं सहायता समूह कहीं मिलेट कैफे शुरू कर रहे हैं तो कहीं मिलेट कूकीज बना रहे हैं. काशी के प्रसाद से लेकर आर्मी के राशन तक मिलेट पहुंच रहा है.
एक स्टडी ने बताया कि SHG सदस्यों ने स्वास्थ्य और पोषण पर चर्चा करते हुए प्रति माह लगभग 30 मिनट बिताए. इससे उन्हें पोषण और स्वास्थ्य सम्बंधित नई जानकारी मिली. इस जानकारी कि वजह से वो अपने बच्चों और परिवार की बेहतर देखभाल कर पाई. समुदायों में पहुंच और पहचान होने की वजह से SHG महिलाएं आसानी से जागरूकता फैला पाती हैं. 'सभी के लिए पोषण: स्वस्थ भारत की ओर एक साथ' के गोल के लिए ये महिलाएं लगातार काम कर रही हैं.