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कुदुंबश्री मतलब "परिवार की समृद्धि". इस नाम में केरल की महिलाओं और उनके परिवारों की उम्मीद बसती है. कुदुंबश्री एक महिला स्वसहायता समूह (SHG) आंदोलन है जिसकी शुरुआत 1997 में केरल से हुई थी. महिला सशक्तिकरण तक पहुंचने के लिए गरीबी ख़त्म करने के उद्देश्य से केरल सरकार ने ये आंदोलन शुरू किया. कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को SHG से जोड़ने के लक्ष्य के साथ, केरल राज्य में गरीबी उन्मूलन परियोजना के रूप में कार्यक्रम शुरू हुआ. बाद में SHG को समुदाय-आधारित संगठन (CBO) में संगठित किया गया, जिन्हें 'कुदुम्बश्री इकाइयों' के रूप में जाना जाता है.
25 साल के इस सफर में कुदुंबश्री ने महिला सशक्तिकरण के सिद्धांतों को लागू करवाया और उन्हें आर्थिक आज़ादी तक पहुंचने के लिए मंच दिया. कुदुम्बश्री इकाइयों ने महिलाओं को अपना रोज़गार शुरू करने के लिए लोन, ट्रेनिंग और सहायता तक पहुंच प्रदान की. उन्होंने स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामुदायिक विकास पहलों पर भी काम किया.
कुदुंबश्री SHG की सिल्वर जुबली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहां, "मेरा मानना है कि जब महिलाओं को किसी भी समाज में अहम भूमिका दी जाती है, तो इसका परिणाम उस समाज की बेहतरी होता है. केरल में, महिलाएं अधिक शिक्षित और सशक्त हुई हैं, जो कई मानव विकास सूचकांकों पर केरल के बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है. "राष्ट्रपति ने केरेला के महिला सशक्तिकरण के प्रयासों को सराहा और 'कुदुंबश्री @ 25' और अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए 'उन्नति' बुकलेट का उद्घाटन किया.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के विकास में महिलाओं के योगदान को सराहा और कहा कि "नारी शक्ति के लिए आकाश ही सीमा है. " उन्होंने महिलाओं कि क्षमताओं पर धयान देते हुए उन्हें उद्यमकर्त्ता बनने में मदद करने के लिए कहा.
कुदुंबश्री SHG भारत में महिला सशक्तिकरण और गरीबी में कमी के लिए एक मॉडल बन गई है. आज, यह पूरे केरल में 44 लाख से ज़्यादा सदस्यों के साथ देश में सबसे बड़ा महिला स्वसहायता समूह आंदोलन है. कुदुंबश्री देशभर के SHG के लिए मिसाल है.