महिलाओं के लिए जागरूकता की लहर है 'प्रोजेक्ट रौशनी'

मुंबई में 'रोश डायग्नोस्टिक्स' के सहयोग से सोसाइटी फॉर ह्यूमन एंड एन्वायरमेंटल डेवेलपमेंट ने 'प्रोजेक्ट रौशनी' शुरू किया. 'शेड'  ने यह प्रोजेक्ट 2015 में शुरू किया. इस से पालघर जिले में वंचित महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा और आजीविका सहायता प्रदान हो रही है.

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रिसिका जोशी
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Roshni project

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महिलाएं स्वस्थ तो परिवार स्वस्थ. मुंबई में 'रोश डायग्नोस्टिक्स' के सहयोग से NGO 'SHED' ( सोसाइटी फॉर ह्यूमन एंड एन्वायरमेंटल डेवेलपमेंट ) ने 'प्रोजेक्ट रौशनी' शुरू किया.  'शेड'  ने यह प्रोजेक्ट 2015 में शुरू किया. इस से पालघर जिले में वंचित महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा और आजीविका सहायता प्रदान हो रही है. यह पालघर के दो गांवों में महिलाओं के साथ कम हीमोग्लोबिन के स्तर को मैनेज करने के लिए काम कर रहा है.

यह परियोजना ग्रामीणों को किचन गार्डन विकसित करने में मदद करते हुए ब्यूटीशियन पाठ्यक्रम, सिलाई और आधुनिक कृषि प्रथाओं जैसे कौशल में प्रशिक्षण भी प्रदान करती है. रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया की 'कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी' (सीएसआर) प्रमुख मंजीरा शर्मा ने बताया - "इस परियोजना के माध्यम से, हम इन वंचित महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुंच प्रदान करना चाहते थे." शेड पिछले 35 वर्षों से पालघर के विभिन्न गांवों में 45,000 कम शौचालयों का निर्माण करके स्वच्छता को बढ़ावा देने, स्कूल छोड़ने वालों को गैर-औपचारिक शिक्षा प्रदान करने, वाटरशेड प्रबंधन और एचआईवी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने सहित अन्य पहलों के लिए काम कर रहा है.

इस क्षेत्र में विभिन्न सर्वेक्षण करने पर, यह महसूस किया गया कि महिलाओं का एक बड़ा प्रतिशत कुपोषण और हीमोग्लोबिन के निम्न स्तर से पीड़ित है, जिससे खराब प्रतिरक्षा, मासिक धर्म की समस्याएं, थायरॉइड की समस्याएं और बहुत कुछ होता है. परियोजना के तहत, हीमोग्लोबिन परीक्षण के लिए वर्ष में तीन बार चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं, और कम हीमोग्लोबिन स्तर वाली महिलाओं को दवाएं प्रदान की जाती हैं. टीम में चार डॉक्टर हैं यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

18 महीने से अधिक समय तक लाभार्थियों की गहन जांच के बाद, अच्छे हीमोग्लोबिन स्तर वाली महिलाओं को रोशनी एंबेसडर के रूप में नामित किया जाता है, जो स्थानीय आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अन्य महिलाओं के बीच एचबी परीक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाती हैं. इस परियोजना के तहत अब तक 700 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है. सालुंके कहते हैं, "हमने एक स्वयं सहायता समूह भी शुरू किया है जो महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे जीवन बीमा, बालिका योजनाओं, आदिवासी योजनाओं आदि के बारे में शिक्षित करता है." इन महिलाओं को किचन गार्डन उगाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है, जिनमें से कुछ उत्पाद बाजार में भी बेचे जाते हैं. अतिरिक्त उपज को बेचकर महिलाएं प्रतिदिन लगभग 500 से 600 रुपये कमाती हैं. ऐसे और भी ओर्गानिसशंस है जो पुरे देश में महिलाओं की सेहत को लेकर जागरूकता फैला रहे है. प्रोजेक्ट रौशनी एक ऐसे पहल है जो, महाराष्ट्र की महिलाओं के लिए वरदान बन चुकी है और उम्मीद है कि यह आगे भी महिलाओं कि सेहत के लेकर जागरूकता फैलाती रहेगी.

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