स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपने छोटे व्यवसायों में ऐसी कितनी चीज़े और उत्पाद बनते है जो बाज़ार में मिलने वाले बाकी सामान से कम नहीं बल्कि ज़्यादा अच्छे होते है. इन उत्पादों को बनाने के बाद जो सबसे बड़ा सवाल इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के सामने खड़ा होता है वो है इनकी बिक्री का. उत्पादों को वे कहां रखे, ताकि लोगों की नज़र उन पर पड़े? इसी सवाल का जवाब देते हुए पुणे जिला परिषद ने महिलाओं को एक राहत की सांस दी. महाराष्ट्र जिले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने और खुदरा स्थान प्रदान करने के लिए, पुणे जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण ने पुण्यश्री स्टोर्स की स्थापना की. पूंजीगत सब्सिडी योजनाओं और बैंक ऋण की मदद से जनवरी से जिले भर में ऐसे 41 स्टोर स्थापित किए गए हैं. इन स्टोर्स को डी-मार्ट स्टोर की तरह बनाने की सोच रखी गयी है, जो उत्पादों को खरीदने के लिए एक उचित बाज़ार है.
पुणे जिला परिषद के सीईओ, आयुष प्रसाद ने बताया- "इन स्टोरों को डिजाइन, बहीखाता पद्धति, सप्लाई चैन मॅनॅग्मेंट और ऑपरेशन्स के हिसाब से स्टैंडर्डज़ किया गया है." कई ग्रामीण महिलाओं के व्यवसाय अद्वितीय उत्पादों का निर्माण करते हैं और उनकी खरीद स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दे सकती है, और दुनिया को अपनी शिल्प कौशल का प्रदर्शन भी कर सकती है. प्रसाद ने कहा- "इन व्यवसायों से उत्पाद खरीदकर, हम न केवल स्थानीय उद्यमियों का समर्थन कर रहे हैं बल्कि ग्रामीण आजीविका और समुदायों को बनाए रखने में भी मदद कर रहे हैं." जिला परिषद के इस कदम से, उत्पादन से बिक्री तक सप्लाई चैन को मजबूत करने और SHG सदस्यों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने की उम्मीद है. इन महिलाओं का प्रति दिन का कारोबार लगभग 5,000 रुपये है. यह कदम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए बहुत बड़ी पहल है. वे बहुत आसानी से खुदका और अपने परिवार का जीवन बदलने में समर्थ होंगी. सिर्फ पुणे ही नहीं, महाराष्ट्र और देश के हर जिले में इस तरह के स्टोर्स होने चाहिए ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें.