राष्ट्रपति मुर्मू ने की ट्राइबल महिलाओं से बात

राष्ट्रपति मुर्मू आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणा होने के साथ उनके लिए बहुत कुछ कर भी रहीं है। जैसे अभी हाल ही में त्रिपुरा की अपनी यात्रा के दौरान, वह एक चाय बागान में काम करने वाली आदिवासी महिलाओं से मिलीं.

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रिसिका जोशी
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murmu met SHG women

Image Credits: Indian Express

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया. वह स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति बनाने के साथ, शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बनी. राष्ट्रपति, संथाल समुदाय से आती हैं. देश में भील और गोंड के बाद संथाल जनजाति की आबादी आदिवासियों में सबसे ज़्यादा है. उनके गृह राज्य ओडिशा, इससे लगे झारखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों में शेड्यूल ट्राइब्स के लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है. द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने का जश्न देश के 100 से ज्यादा आदिवासी बहुल जिलों और 1 लाख 30 हजार गांवों में मनाया गया. ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक सुदूर गांव से राष्ट्रपति भवन तक के सफर में उनकी प्राथमिकताओं में जनजातीय कल्याण सबसे महत्वपूर्ण था. वो आदिवासी समुदायों के सबसे पिछड़े व्यक्तियों तक पहुंची. 

राष्ट्रपति मुर्मू आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणा होने के साथ उनके लिए बहुत कुछ कर भी रहीं है. जैसे अभी हाल ही में त्रिपुरा की अपनी यात्रा के दौरान, वह एक चाय बागान में काम करने वाली आदिवासी महिलाओं से मिलीं. राष्ट्रपति भवन के ऑफिशियल हैंडल ने बैठक के बाद ट्वीट किया- "मैं अगरतला में दुर्गाबाड़ी टी एस्टेट की महिला चाय श्रमिकों के साथ बातचीत करके प्रसन्नता हुई. वे राज्य की सामाजिक विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं. मैंने उनसे उनके बच्चों, विशेषकर लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान देने का आग्रह किया." 

इन बैठकों के बाद राष्ट्रपति कार्यालय से जारी ऑफिसियल रिलीज़ के अनुसार, मुर्मू ने लखनऊ, जयपुर, चंडीगढ़ और तेलंगाना के अपने दौरे पर पर्टिक्यूलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स (पीवीटीजी) से भी मुलाकात की है. विशिष्टतः असुरक्षित जनजातीय समूह’ (Particularly Vulnerable Tribal Groups-PVTGs) को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह भी कहा जाता है. पीवीटीजी भारत में फ़ैली जनजातियों के ऐसे समूह होते हैं जो जनजातियों से सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अत्यधिक संवेदनशील हैं. सरकार ने एक पीवीटीजी सूची तैयार की हैं जो लुप्तप्राय जनजातीय समूहों के जीवन स्तर को प्राथमिकता के आधार पर सुधारने की सोच से बनाई गई थी. जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अनुसार, 75 पीवीटीजी 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं. अधिकारियों ने कहा कि इन समुदायों में विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता का स्तर कम है. राष्ट्रपति जनजातीय समुदाय के सदस्यों को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा के लाभों और अपने बच्चों को स्कूल भेजने के महत्व के बारे में जागरूक भी करते हैं. इन पीवीटीजी पर भी राष्ट्रपति मुर्मू का विशेष ध्यान हैं. 

राष्ट्रपति भवन का अमृत उद्यान कुछ दिनों पहले फूलों के रंगों के साथ गाने और नाच से सराबोर था.  राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने निवास पर देश भर में स्वयं सहायता समूहों के साथ काम करने वाली सैकड़ों महिलाओं नेको बुलाया था. इनमें से अधिकांश महिलाएं जनजातीय पृष्ठभूमि से आती हैं, जिनमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, असम, मेघालय, झारखंड, गुजरात, सिक्किम और राष्ट्रपति के गृह राज्य ओडिशा से पीवीटीजी शामिल हैं. मुर्मू प्रत्येक समूह से मिलने के लिए रुकीं और बात की. छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले की एक विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय की महिलाओं ने जब उन्हें बीरन माला (बांस से बनी माला) भेंट की. मुर्मू ने महाराष्ट्र के भील समुदाय और छत्तीसगढ़ के पहाड़ी कोरवास समुदाय की महिलाओं से बात करने के लिए भी समय निकाला. राष्ट्रपति का ये लकदम हमारे देश की जनजातियों को आगे लाने का एक बहुत बड़ा कदम हैं. इन जनजातियों के पास बहुत कौशल हैं लेकिन इनके पास उतना साधान नहीं हैं. राष्ट्रपति मुर्मू के इस कदम से इन जातियों को अब साधान मिलने का भी प्रबंध हो गया हैं.  

 

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