सिकुड़ती नदियों और गिरते जल स्तर को बचने के लिए सरकारें अपना जतन कर ही रही, इसके अलावा समाज सेवी ,पर्यावरण प्रेमी समूह के लोग भी अपने-अपने स्तर पर जुटे हुए हैं. मप्र में ही पूरी तरह सूख चुकी नदियों को वापस जिंदा करने के लिए भी ग्रामीणों और विशेषकर महिलाओं को समूहों के जरिए जोड़ा जा रहा है. मालवा -निमाड़ की कई नदियों पर यह काम चल रहा है. छोटी-छोटी नदियां जैसे दम तोड़ रही है ,वहीं जीवनदायनी नर्मदा नदी के सरंक्षण को लेकर भी पूरी ताकत झोंकी जा रही है. नर्मदा नदी के लगातार किनारे कटने से बहाव में कमी देखी जा रही है. हालात और न बिगड़ें इसके लिए सरकार और नर्मदा प्रेमी लोग सतर्क और सजग हो गए.पूरे प्रदेश में नदियों के साथ भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए अमृत जल सरोवर योजना लागू कर दी गई है. इंटरनेशनल डे ऑफ़ रिवर्स एक्शन जैसे ख़ास दिन को ये प्रयास सार्थक कर सकते हैं.
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इंदौर जिले को भी "पानीदार" बनाने के लिए सौ से अधिक अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं. इसमें जिले के ही 38 महिला स्वसहायता समूह की चार सौ से ज्यादा महिलाएं जुड़ गईं.ये जहां नदियों के आसपास संरक्षण का काम कर रही वहीं जल स्तर बढ़ाने के लिए सरोवर बन रहे हैं. इंदौर जिले के ही महू क्षेत्र में भगवान परशुनाथ की जन्म स्थली जानापावा इलाके में ये महिलाएं नदियों की देखभाल ,तालाब में मछली पालन से कमाई भी कर रहीं हैं. नदियों को बचाने के लिए इन्हीं महिलाओं ने फलदार पौधा रोपण कर कमाई का दूसरा सोर्स भी तैयार कर लिया है.इस क्षेत्र की सात नदियों चोरल, मोरल ,अजनार, चंबल, नखेरी, गंभीर और कारम को बचाने के लिए भरोसा बन गया कि सरोवर और दूसरे काम से नदियों का जल स्तर बढ़ जाएगा. इंदौर जिले के स्वसहायता समूह की हेमलता कहती है-" नदियों को बचाने के लिए सरोवर और आसपास फलदार पौधे रोपे जिससे कमाई भी होगी. " इसी इलाके में स्वसहायता समूह चला रही लक्ष्मी स्वसहायता समूह की रचना खुश हो कर कहती है - "नदियां हमारी पहचान है. इसे हम हर हाल में बचाएंगे और इससे कमाई भी होगी.खरगोन जिले की हथनी और पहाड़ी बरसाती नदी को भी इसी तरह पुनर्जीवित किया जा रहा है.
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जनपद पंचायत की असिस्टेंट ब्लॉक मैनेजर आरती सिंह कहती हैं -"महू इलाके गांव कुमठ ,बेका और पंचायत राजपुरा में समूह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. पानी के स्तर को बढ़ने के लिए कुमठ में तालाब भी बनाया जाएगा. बेगा के सात ,कुमठ के तीन और राजपुरा के चार महिलाओं के स्वसहायता समूह काम में जुटे हैं.
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पूरे जिले में लगभग 11 लाख घनमीटर पानी को इकठ्ठा हो सकेगा, जिसमें साढ़े आठ सौ हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के साथ जल स्तर बढ़ेगा.आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं को नया रोजगार भी साथ -साथ मिलेगा. नदियों को बचाने के लिए जागरूकता बधाई जा रही है.