ग्रामीण महिलाएं (rural women) आर्थिक क्रांति (financial revolution) की अगुवाई कर रही हैं. ये ताकत उन्हें स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से मिली. इनकी सफलता को देखते हुए, सरकार और महिलाओं को समूह (SHG) से जोड़ने की प्लानिंग कर रही है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) को ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) ने, ग्रामीण परिवारों के आर्थिक बदलाव और समृद्धि हासिल करने का सबसे कारगर ज़रिया माना. इस मिशन से आ रहे बदलावों और प्रगति को देखते हुए सरकार की अगली कोशिश इस दायरे को बढ़ाने की होगी.
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देशभर में नौ करोड़ से ज़्यादा ग्रामीण परिवेश की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (Self Help Group) से जुड़ी हैं. इनके आर्थिक बदलाव को देखते हुए, सरकार 2024 से पहले इस संख्या को दस करोड़ (10 Crore) तक पहुंचाना चाहती है. जिसके बाद स्वयं सहायता समूहों के ज़रिये दस करोड़ ग्रामीण परिवार इस योजना का लाभ ले सकेंगे. इसी लक्ष्य के साथ 'देश की समृद्धि में गांवों की भागीदारी' बढ़ाने पर नई दिल्ली में दो दिन का सम्मेलन शुरू किया गया. विश्व बैंक (World Bank) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) के सहयोग से सम्मलेन का आयोजन किया गया. इवेंट का शुभारंभ केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने किया.
ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका में 19% और बचत में 28% की बढ़ोतरी हुई है. मंत्रालय और कार्यक्रम से जुड़े अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े. गिरिराज सिंह ने उन्हें दस करोड़ पात्र महिलाओं को 2024 से पहले, स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का लक्ष्य दिया. देश की समृद्धि में गांवों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए नै नीतियां बनाई जायेंगी.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि समूह की महिलाओं से देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी. आने वाले दिनों में, महिला स्वयं सहायता समूह भारत में बदलाव का अहम ज़रिया बनेंगी.