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Image Credits: Udaipur Kiran
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'गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त' मतलब धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं. अमीर खुसरो ने यह लिखकर कश्मीर की खूबसूरती को एक अलग अंदाज मे बयां किया था. लेकिन कई सालों तक यहाँ रहने वाले लोगों ने मुसीबत का सामना किया. अपना घर बार छोड़ के कहीं और रहने जाना किसी को पसंद नहीं आता, और कश्मीर जैसा स्वर्ग छोड़कर जाना तो और दुखदायी रहा होगा. वे लोग उस भयानक मंजर और त्रासदी को नहीं भूले नहीं जब उन्हें आतंकवादियों के कारण कश्मीर छोड़ के जाना पड़ा था.
इतने साल हो गयी लेकिन उस दर्द के ज़ख्म आज भी उतने ही ताजा है. इन दर्द भरी यादों को कश्मीरियों ने अपना नसीब समझ लिया था लेकिन 2011 में सेवा भारती ने उनका हाथ थमा और आज तक साथ बरक़रार है. इसी साथ के बारे में और ज़्यादा अंजली ने बताया जो जयपुर में चल रहे सेवा भारती के राष्ट्रीय सेवा संगम में जम्मू के अथरूट स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों के साथ आईं हैं. वे बताती हैं - "विस्थापन के दर्द के साथ जीवनयापन की चिंता भी थी, जैसे-तैसे दिन कट रहे थे. 2011 में जब सेवा भारती उनके साथ जुडी तब जाकर यह सुकून मिला की अब हमे ख़ुशी के साथ जीवन जीने का मौका मिलेगा. सेवा भारती ने विस्थापित परिवारों की महिलाओं को स्वावलम्बी बनने की प्रेरणा भी दी."
अंजली ने बताया- "उन्होंने महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनवाए और प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया. पहली बार उन्होंने सिलाई सीखी और सबसे पहले एप्रिन सिला. तब से अब तक हमारी महिलाओं के स्वयं सहायता समूह 14 तरह के उत्पाद तैयार कर रहे हैं और अपने परिवार का सहारा बने हुए है." जम्मू-कश्मीर में सेवा भारती की पूर्णकालिक कार्यकर्ता यशस्विनी ने बताया- "सालों से टेंट में रह रहे कश्मीरी विस्थापित हिन्दू परिवारों के सहयोग के लिए सेवा भारती ने यह तय किया था कि महिलाओं के लिए सशक्तीकरण केन्द्र शुरू करेंगे, ताकि वे ख़ुद कुछ सीखकर अपना राेजगार शुरू कर सकें और अपने परिवार को संभाल सकें." यह कार्य सेवा भर्ती कश्मीरी हिन्दू परिवारों के लिए कर रहा है और आने वाले समय में कश्मीरी हिन्दुओं के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा. ऐसे ही कोरोना के समय, जब बहुत से कश्मीरी विस्थापितों को सेवा भारती ने मास्क बनाने का काम दिलाया. सेवा भारती का कार्य पुरे देश में बहुत बड़े पैमाने पर चला रहा है.
ऐसे और भी संस्थानें है जो स्वयं सहायता समूहों और महिलाओं के लिए बहुत काम करती है. अगर ये सारे ओर्गनइजेशन ठान ले, तो देश में महिलाओं के हालात बदलने में बिलकुल समय नहीं लगेगा.