'बर्तन बैंक' से कम होगा प्लास्टिक यूज़

प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए और डिस्पोजल से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को ख़त्म करने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई-3 चरोदा नगर निगम में एक अनोखी पहल की शुरुआत की. यहां बर्तन बैंक खोला गया. इसका ज़िम्मेदारी महिल स्वयं सहयता समूहों को दी गयी. 

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रिसिका जोशी
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Bartan bank

Image Credits: Bhaskar

अगर आप से पूछा जाए किसी ऐसी चीज़ के बारे में, जिसका कोई फायदा नहीं है और वह हमारे पर्यावरण और स्वास्थय को सिर्फ नुक्सान पहुंचा रही है, तो आपके दिमाग में सीधे प्लास्टिक का नाम आएगा. प्लास्टिक उन कुछ चीज़ों में से एक है जिसे इस्तेमाल कर के हम अपनी और अपने भविष्य की पीढ़ियों के लिए धरती पर रहना और मुश्किल बना रहे है. प्लास्टिक का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा थैलियों और डिस्पोजल के रूप में किया जाता है. इसी इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए और डिस्पोजल से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को ख़त्म करने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई-3 चरोदा नगर निगम में एक अनोखी पहल की शुरुआत की. यहां आजाद चौक, उमदा, गनियारी, मोरिद, सोमनी, इंदिरा पारा चरोदा, उरला और दादर में 'बर्तन बैंक' खोला गया. इस बैंक के संचालन की ज़िम्मेदारी महिल स्वयं सहयता समूहों को दी गयी. 

पहल को और भी ज़्यादा तेजी से आगे बढ़ाने के लिए यह फैसला किया गया कि सामाजिक, धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए बर्तन बिना पैसे के दिए जाएंगे. मेयर निर्मल कोसरे ने सभी आठों स्थानों के लिए महिला स्व सहायता समूहों को 1 लाख के बर्तन दिए और कहा- "छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए यह कदम उठाया है. इस कदम से महिलाओं को रोजगार भी मिल सकेगा. मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन इनोवेशन सेल (MIC) में लिए गए निर्णय के अनुसार इस कदम का क्रियान्वयन किया जा रहा है.” भारत में आए दिन कोई न कोई कार्यक्रम जैसे भंडारा, छट्ठी, शादी, पार्टियां, होते ही रहते है. उस वार्ड और मोहल्ले के कार्यक्रमों का काम बर्तन बैंक की संचालिका महिला SHGs को मिलता रहेगा और बर्तन बैंक की स्थापना के 2 प्रमुख उद्देश्य भी पुरे हो जाएंगे. इसके लिए गुरु वंदना स्वयं सहायता समूह, आदिवासी महिला समूह, स्वच्छ समूह, भक्ति महिला समूह, महालक्ष्मी समूह, मां दुर्गा महिला समूह, आस्था महिला समूह आदि को बर्तन दिया गया.

छत्तीसगढ़ के भिलाई गांव में उठाया गया यह कदम एक बहुत ही अच्छी पहल साबित होगा. धरती को आए दिन कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ता है जिसमें प्लास्टिक प्रदुषण एक बहुत बड़ी समस्या है. ठानना हर व्यक्ति को पड़ेगा, तभी बदलाव लाना संभव है. इस तरह की पहल सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को शुरू करनी चाहिए. ‘अर्थ डे’ जो कि हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है, उस दिन हमे यह ठान लेना चाहिए कि अपनी धरती को बचाने के लिए हम कोई भी कदम उठाने को तैयार है. हमारी आने वाली पीढ़ी को पूरी तरह सुरक्षित रखने कि ज़िम्मेदारी अब हमारे हाथों में ही है.

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