राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) या डे-एनआरएलएम (दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) भारत के सबसे बड़े आर्थिक सामाजिक कार्यक्रम के रूप में उभरा है. यह एक ऐसा सामुदायिक प्रयास है जिसका बीड़ा महिलाओं ने अपने कन्धों पर उठाया. सरकार और बैंक की मदद से आज यह अपने विराट स्वरुप में पहुंचा. इस सामुदायिक मुहीम का असर और उपयोग सबसे ज़यादा कोवीड महामारी के दौरान देखा गया. स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं ने जी तरह के प्रयास किये वह पुरे विश्व के किसी भी सामूहिक या सामुदायिक प्रयास से बेहतर रहे.
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केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका में विश्व बैंक समूह (WBG) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की 2023 स्प्रिंग मीटिंग में भाग लेते हुए SHG महिलाओं के प्रयासों और सफलता की सराहना की. उन्होंने बताया की कैसे यह महिलाएं कोवीड महामारी के दौरान मानवसेवा के लिए बाहर निकली और उस समय निकली जब कोई वैक्सीन नहीं थी, क्या होगा किसी को कुछ पता नहीं था. उन्होंने अपने तरीके से समाज सेवा के उदाहरण पेश किये. जागरूकता फ़ैलाने के लिए SHG महिलाओं ने खुद को पत्रकार दीदी का नाम दिया. इस उद्देश्य के साथ की वह भारत के दूरदराज इलाकों तक जानकारी और जागरूकता फ़ैलाने का काम एक पत्रकार की तरह कर सके. यह सब हुआ NRLM के समर्थन, सहयोग और संकल्प के साथ. जनजातीय इलाकों से लेकर भारत के कोने-कोने तक इन्होंने कोविड क्या है, कैसे बचाव किया जाए, सुरक्षा के उपाय सब समझाए.
इसी के साथ और भी प्रयास हुए, जैसे केरल का फ्लोटिंग मार्किट. केरल के बेकवाटर्स का अपना अनूठा ताना बना और संसार है. उसी में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कोवीड महामारी के दौरान रोज़मर्रा के ज़रूरी सामान को बेचा न्यूनतम कीमतों पर. इस तरह इन फ्लोटिंग सुपर मार्केट ने केरल के लोगों तक दवाइयां, राशन, खाना जैसी ज़रूरी आवश्यकताएं पहुंचाने में मदद की.
ऐसे ही 'प्रेरणा कैंटीन' के ज़रिये भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश के लोगों को कोवीड महामारी के दौरान खाना खिलाया. जब पुरे विश्व पर संकट के बादल गहरा रहे थे तब अपने घरों की दहलीज से बाहर निकलकर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने लोगों का पेट भरा. लॉकडाउन में कोई भूखा न सोये इसका खास ख्याल रखा इन SHG महिलाओं ने, अपना खाना न्यूनतम कीमत पर बेच कर.
इस तरह के हज़ारों काम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कोवीड के दौरान किये जो पूरी दुनिया में सामुदायिक प्रयासों की मिसाल बने. इन सबको देखते हुए स्थानीय सहायता के साथ कॉर्पोरेट्स से भी मदद मिली. पिछले 35 साल से चल रही SHG की आर्थिक सामाजिक विकास की लहर आगे बढ़ती गयी.
यह स्वयं सहायता समूह अब एक और कदम आगे बढ़ाते हुए आज किसान उत्पादक संगठन यानी Farmers Producer Organization (FPO) बन सकते है. समूह अपने उत्पाद एक साथ लाते है और उसमें मूल्य संवर्धन (वेल्यू एडिशन ) करते है और फिर उन्हें मार्केट करते है. SHG महिलाओं को सरकार अब FPO बनाये जाने पर ज़ोर दे रही है. स्वयं सहायता समूह अब लोकल स्टोरेज बनाने के लिए भी आगे लाया जा रहा है. जैसे साइलो बनाना या अनाज इक्कठा करने के गोदाम बनाना जिससे उन्हें सही कीमत मिल सके.