'मन की बात': नारी शक्ति की मिसाल बनी दीदियों ने सुना 100 वां एपिसोड

'मन की बात' कार्यक्रम का 100 वां एपिसोड देशभर में देखा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम का ये शतक ऐतिहासिक बन गया जब "मन की बात" की 100वीं कड़ी प्रसारित हुई, जिसमें SHG की लगभग 70 लाख महिलाएं और मनरेगा के श्रमिक भाई शामिल हुए.

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मिस्बाह
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mann ki baat 100th episode

Image Credits: KO News

अक्टूबर 2014 में शुरू हुए 'मन की बात' कार्यक्रम का 100 वां एपिसोड देशभर में देखा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम का ये शतक ऐतिहासिक बन गया जब "मन की बात" की 100वीं कड़ी प्रसारित हुई, जिसमें स्वयं सहायता समूहों की लगभग 70 लाख महिलाएं और मनरेगा के श्रमिक भाई शामिल हुए. यह लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम प्रधानमंत्री के प्रेरक और उत्साहवर्धक संदेशों के लिए जाना जाता है, जो लोगों के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह भर देता है. 'मन की बात' पर अपने विचार और अनुभव साझा करने से लोग जुड़े और प्रेरित होते हैं. 

मन की बात कार्यक्रम में सफलता पा चुके लोगों के सराहनीय प्रयासों को देश के साथ साझा किया जाता है. हर एपिसोड में ऐसे विशिष्ट लोगों की कहानियां बताई गई जिन्होंने जलवायु परिवर्तन, कृषि, कला, संस्कृति और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ अलग किया. 'मन की बात' ने समावेशी भागीदारी के माध्यम से बहुमूल्य जानकारी का प्रसार करने और राष्ट्रीय एकता और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समाज के लिए नए विचार प्रस्तुत किए.

नारी शक्ति 'मन की बात' के अहम विषयों में से एक रहा है. पीएम मोदी महिला को एक शक्ति के रूप में देखते हैं. अपने संबोधन में, उन्होंने भारतीय महिलाओं को शक्ति, ज्ञान और सुरक्षा की अभिव्यक्ति बताया. पीएम सशक्त महिलाओं की संख्या को बढ़ते हुए देखना चाहते हैं. वह पृथ्वी को 'माँ' के रूप में देखते है और केमिकल वाले खाद और यूरिया उर्वरक के इस्तेमाल में कटौती कर धरती माँ को ठीक करना चाहते है. वह 'मां दुर्गा' को पूजते हुए, स्कंद पुराण से बताते है कि एक बेटी दस बेटों के बराबर होती है. उनका मानना ​​है कि भारतीय समाज में महिलाओं को 'शक्ति' का दर्जा दिया गया है, नारी शक्ति पूरे समाज को, और पूरे परिवार को एकता की धुरी पर बांधती है. वह इस बात पर ज़ोर देते हैं कि भारतीय परंपरा के अनुसार पुरुषों की पहचान उन महिलाओं से हैं जिनसे वे जुड़े हुए थे जैसे, यशोदा-नंदन, कौशल्या-नंदन, गांधारी-पुत्र. वह बेटियों को 'लक्ष्मी' के रूप में, और भाग्य और समृद्धि के पर्वायवाची के रूप में जानते है. 

जिन लड़कियों और महिलाओं ने किसी भी क्षेत्र में प्रगति की है, उनका ज़िक्र 'मन की बात' में किया गया है. उन्होंने महिलाओं के प्रयासों जैसे स्वयं सहायता समूह बनाकर अपने समुदायों को ज़रूरी सेवाएं प्रदान करने को सराहा. लड़कियों की उपलब्धियों पर गर्व जताया. विदेशों में जन्मी महिलाएं जो दुनिया भर में भारतीय संस्कृति का प्रसार कर रही हैं, जैसे सिस्टर निबेदिता, जगत तारिणी और जदुरानी दासी. के कामों का भी ज़िक्र किया. 'मन की बात' सुनने वाली लड़कियों और महिलाओं को इन कहानियों से प्रेरणा मिलती है, वो ये समझती हैं कि महिलाएं चाहे तो हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकती हैं.  

नारी शक्ति 100 वां एपिसोड मन की बात स्वयं सहायता समूह