मशरुम उगाया बिज़नेस बढ़ाया

हिमाचल प्रदेश के करसोग उपमंडल के कलैहणी गांव की संतोषी देवी ने भी ऐसा ही कुछ कर दिखाया. उन्होंने ढींगरी मशरूम (Dhingri Mushroom) की जैविक खेती कर खुद को आगे बढ़ाने की राह पकड़ी.

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रिसिका जोशी
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Dhingri Mushroom

Image Credits: Early Times

महिलाओं के लिए कोई भी कार्य करना मुश्किल नहीं है, यह वे कई बार साबित कर चुकी है. घर के काम करने से लेकर, घर को ही अपना रोजगार बनाने तक, महिलाएं अब हर कार्य में निपुण हो गयी है. हिमाचल प्रदेश के करसोग उपमंडल के कलैहणी गांव की संतोषी देवी ने भी ऐसा ही कुछ कर दिखाया. उन्होंने ढींगरी मशरूम (Dhingri Mushroom) की जैविक खेती कर खुद को आगे बढ़ाने की राह पकड़ी. संतोषी देवी ने जनवरी 2023 में खंड विकास कार्यालय करसोग से राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत मशरूम की जैविक खेती का 10 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त कर घर के एक कमरे में 17 बैगों में Dhingri Mushroom की खेती शुरू की.

आज वे उम्मीद से कहीं ज्यादा ढींगरी मशरूम की फसल उगा पा रहीं है. संतोषी देवी ने चार से पांच बार मशरूम की कटाई करी. संतोषी देवी करसोग बाजार में हिम ईरा नाम से दुकान भी चला रही हैं. यहां पर घर में तैयार किए जाने वाले Organic Dhingri Mushroom को 250 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जाता है. संतोषी का कहना है- "इस काम को शुरू करने से पहले, मेरी अपनी कोई आय नहीं थी. घर के कार्यों में ही समय बीत जाता था. मुझे स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी हुई महिलाओं के लिए आजीविका मिशन के तहत ढींगरी मशरूम की खेती करने संबंधी प्रशिक्षण दिए जाने की जानकारी खंड विकास कार्यालय करसोेग से मिली. उसके बाद मैंने यह कार्य शुरू किया.

अब वे इस कार्य से प्रतिमाह चार से पांच हजार और 50 से 60 हजार रुपये वार्षिक आय अर्जित कर रही हैं. इससे परिवार की आर्थिक स्थिति भी सही हुई है. संतोषी देवी ने साबित कर दिया कि मुश्किलें उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी. हर महिला को इनसे सीख लेनी चाहिए और Self Help Group से जुड़कर अपनी आय का स्त्रोत तैयार करना चाहिए.

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