दीदियां अब करेंगी 'मटेरियल रिकवरी फैसलिटी'

वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ‘दीदियों’ का दर्जा देकर 'मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी' (MRF) सेंटर्स पर सैकड़ों नए रोज़गार के अवसर प्रदान किए हैं.

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रिसिका जोशी
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देश में सफाई अभियान जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, सभी लोग इसमें अभियान में अपना योगदान देने से बिल्कुल पीछे नहीं हटते. सफाई अभियान का ही एकदूसरा पहलु है, 'वेस्ट मेनेजमेंट'. हालांकि देश के ज़्यादातार शहरों में वेस्ट मेनेजमेंट ही सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आता है. इसी चुनौती के सामने डटकर खड़ा हों गया छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर शहर, जिसने वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ‘दीदियों’ का दर्जा देकर 'मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी' (MRF) सेंटर्स पर सैकड़ों नए रोज़गार के अवसर प्रदान किए हैं. इस तरह शहर से लेकर राज्य स्तर तक यहां ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक जीवंत उदाहरण है. यहां कचरे को 37 श्रेणियों में अलग करने का काम किया जाता है. मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर्स से रोज़ाना कई टन कूड़े की प्रोसेसिंग की जाती है. यहां शहरों के विभिन्न इलाकों से डोर-टू-डोर कलेक्शन के बाद हर तरह का कूड़ा पहुंचाया जाता है. गीले कचरे को सुखाकर खाद में बदल दिया जाता है और सूखे कूड़े को कई श्रेणियों में सेग्रीगेट कर उसका निस्तारण किया जाता है.

स्वच्छता के काम में बेहतर प्रदर्शन के लिए 41 महिला स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा गया. वर्तमान में इस समिति से 470 महिला सदस्य जुड़ चुकी हैं. अंबिकापुर मिशन सहकारी समिति की महिलाओं की टीम सुबह सात से ग्यारह और शाम तीन से पांच बजे तक घरों से कचरा जमा करती हैं. स्वच्छ सर्वेक्षण में अंबिकापुर शहर को साल 2017 से 2020 तक लगातार चार बार 1 से 3 लाख आबादी वाली श्रेणी में पहला स्थान मिल चुका है. 2021 में 'बेस्ट प्रैक्टिस एंड इनोवेशन श्रेणी' में राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और 2022 में 'बेस्ट सेल्फ सस्टेनेबल सिटी' का अवॉर्ड मिल चुका है. गोवा नगर निगम ने साल 2020 में मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर में सूखे कचरे के ‘16-वे वेस्ट स्रेगीगेशन’ की अनोखी पहल शुरू की. यह विशेष व्यवस्था 35 रेजीडेंशियल कॉलोनियों में शुरू की गई है.

 निगम ने शहर में विभिन्न स्थानों पर 16-वे सेग्रीगेशन सेंटर शुरू किए हैं, जिससे 50-60 महिलाओं को रोज़गार भी मिला है. कर्नाकट राज्य के बेंगलुरु में रिड्यूस, रियूज, और रीसाइकल यानी 3R’s का कर्तव्य याद दिलाते हुए एक अनोखा प्रयास किया गया. इसके तहत यहां मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) सेंटर्स के छोटे रूप में बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने लगभग 185 अलग ड्राई वेस्ट कलेक्शन सेंटर (DWCC) स्थापित किए गए. यह तीन शहर 'मटेरियल फैसलिटी रिकवरी' के तहत महिलाओं को रोजगार अवसर प्रदान करने में बहुत मदद कर रहा है. अगर यह पहल पुरे देश के शहर प्रार्थमिकता से लेने लगे तो 2 मुख्य बदलाव देखने को मिलेंगे, पहला- महिलाएं सशक्त बनकर अपने परिवार की मदद कर पाएंगी, और दूसरा- शहरों में साफ़ सफाई और कचरे का मैनेजमेंट भी अच्छे से हों पाएगा.

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