रेशम से बंधा रोजगार

वाराणसी की सोनभद्र में राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं को कोया (ककोन) से रेशम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं. इन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (SHG) से जोड़कर रेशम से अपने लिए आजीविका तैयार करने का मौका दे रहीं हैं UP सरकार.

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रिसिका जोशी
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Sericulture

Image Credits: The News Minute

रेशम का धागा जितना महीन होता हैं उसकी कीमत उतनी ही ज़्यादा होती है. इसी रेशम के धागे से बंधने जा रहीं हैं ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक मज़बूती. वाराणसी की सोनभद्र में राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं को कोया (ककोन) से रेशम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं. इन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (SHG) से जोड़कर रेशम से अपने लिए आजीविका तैयार करने का मौका दे रहीं हैं UP सरकार. कुछ महिलाओं ने रेशम उत्पादन कार्य शुरू भी कर दिया है. 

रेशम विभाग की तरफ से जिले में दो दर्जन से अधिक रेशम उत्पादन केंद्र चला किए जा रहे हैं. पूर्वांचल में सर्वाधिक रेशम उत्पादन सोनभद्र जिले में हो रहा है. जिले में रेशम कीट और ककोन दोनों माध्यम से रेशम उत्पादन किया जाएगा. विभाग से ककोन खरीदते हुए प्राइवेट संस्था के माध्यम से मधुपुर क्षेत्र के बट गांव में रेशम तैयार कराया जा रहा है और महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया गया हैं. रेशम विभाग के निदेश सुनील कुमार वर्मा ने बट गांव self help group से जुड़ी महिलाओं को जोड़ा जाएगा ताकि समूह की महिलाएं पार्ट टाइम काम करके अच्छी पहुंचकर समूह की महिलाओं की हौसलाफजाई भी की. उन्होंने अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाओं को काम देने के लिए निर्देशित भी किए. UP सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम महिलाओं के जीवन में आजीविका स्त्रोत के साथ खुशहाली भी लाएगा. अपने परिवारों के लिए यह महिलाएं अब बहुत कुछ कर सकती हैं और आगे बढ़ सकती हैं.

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