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ऑर्गेनिक फार्मिंग की बात हो और वर्मीकम्पोस्ट का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता. केंचुए कचरे को खाद में बदलने में मदद करते हैं, जिसका इस्तेमाल पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया को वर्मीकल्चर कहते है, और परिणामी खाद को वर्मीकम्पोस्ट. अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के पांगिन मोरुक और पांगिन मोली गांवों में विधायक ओजिंग तासिंग ने वर्मीकम्पोस्टिंग पर एक पायलट परियोजना शुरू की. स्थानीय विधायक, पैंगिन सीओ और पैंगिन एआर एसआरएलएम ने इस प्रोजेक्ट को स्थानीय स्वयं सहायता समूहों का रोज़गार बढ़ाने और 'कचरे को धन' में बदल कर जैविक खेती को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्यों के साथ शुरू किया.
छह लाभार्थी एसएचजी के सदस्यों ने 'प्रशिक्षण-सह-इनपुट वितरण शिविर' में भाग लिया, जिसके दौरान उन्हें वर्मीकम्पोस्ट बेड, गार्डन फेंसिंग, रेड विगलर केंचुए, उपकरण और किट बांटे गए. लाभार्थियों को एआर एसआरएलएम के मार्गदर्शन में पासीघाट स्थित कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री और ईस्ट सियांग कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों से ट्रेनिंग मिली. यह जरूरी था कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से समुदाय संचालित करें ताकि जिम्मेदारी और स्वामित्व की भावना पैदा हो सके. इसलिए, शुरूआती सहायता के बाद वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन इकाइयों को पूरी तरह से स्वयं सहायता समूहों को सौंप दिया गया.
Image Credits: @MyGovArunachal
छह लाभार्थी एसएचजी में से, न्योबो एने ने पहले ही 53 किलोग्राम वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन किया है और उन्हें सोशल मीडिया, विशेष रूप से व्हाट्सएप के माध्यम से 50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा है. SHG के सदस्य ओयिनी दुपक ने कहा, "पेंगिन के भीतर भी वर्मीकम्पोस्ट की बहुत मांग है, और हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हमारी आम्दानी दो गुना बढ़ सकेगी."
"एसएचजी के जुड़कर महिलाएं विकास को आगे बढ़ा रही हैं, और इस वर्मीकम्पोस्टिंग प्रोजेक्ट के ज़रिये, न केवल एसएचजी अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे बल्कि इसका उपयोग समुदाय में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए भी करेंगे," तासिंग ने कहा.