गेहूं की बाली से SHGs में होगी हरियाली

भारत की कई SHG महिलाओं ने गेहूं की बाली में जीवन सुधारने की उम्मीद देखी है. सहकारी समिति के साथ महिला स्व-सहायता समूह गेहूं खरीदी के काम में दिलचस्पी दिखा रही हैं. इस साल 42 समूहों ने अपने प्रस्ताव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति कार्यालय को भेजे.

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रिसिका जोशी
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Image Credits: The Hindu

थाली में जब तक रोटी न हो, खाना अधूरा लगता है. रोटी तो भारत के हर घर का एक अहम हिस्सा है जिसकी जगह कभी कोई और खाना ले ही नहीं सकता.1.6 करोड़ किसानों के लिए भी गेहूं उनकी ज़िन्दगी का में खुशियां लाने का एक ज़रूरी हिस्सा है. भारत गेहूं उत्पाद का 2 सबसे बड़ा देश है और यहाँ के 50% से ज़्यादा परिवार हर दिन गेहूं से बानी कोई न कोई चीज़ कहते ही है. 2019-20 फसल वर्ष के दौरान भारत में लगभग 16.5 मिलियन किसान गेहूं की खेती में लगे हुए थे. देख के समझ आ ही जाएगा की गेहूं कमाई का एक बहुत बड़ा साधान बन सकता है.

और इस बार भारत की कई SHG महिलाओं ने भी गेहूं की बाली में उनका जीवन सुधारने की उम्मीद देखी है. सहकारी समिति के साथ महिला स्वयं सहायता समूह गेहूं खरीदी के काम में दिलचस्पी दिखा रही हैं. इस साल 42 समूहों ने अपने प्रस्ताव जिला पंचायत के माध्यम से खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति कार्यालय को भेजे हैं. इसी प्रकार अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए फाॅर्मर्स प्रोडयूसर कंपनी (एफपीओ) ने ज्यादा संख्या में आवेदन दिए हैं. अब इनमें किसे मौका मिलता है, यह आने वाले दिनों में देखने को मिल ही जाएगा. सहकारी समिति के साथ स्वयं सहायता समूह चार अप्रेल से गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर देंगे.

जिले में गेहूं और धान की समर्थन मूल्य पर जो खरीदी होती है, उसमें आमतौर पर सहकारी समितियां भागीदारी करती हैं. इन खरीदारों में स्वयं सहायता समूहों की संख्या काफी काम होती है.लेकिन इन बार इनकी ओर से ज्यादा संख्या में प्रस्ताव भेजे गए हैं. जबलपुर जिले में 82 केंद्र बनाए गए हैं और 48 केंद्र और बनने बाकी हैं. ध्यान देने की बात यह हैं की इन केंद्रों में से ज़्यादातर केंद्रे इस बार स्वयंसहायता समूहों को मिल सकते है. फिलहाल के लिए  सभी के प्रस्तावों को जिला विपणन संघ और खाद्य कार्यालय की ओर से मुख्यालय भेजा गया है.

जबलपुर जिले में इस बार पांच लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. 51 हजार से ज्यादा किसानों ने अपने गेहूं की उपज की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. शुरुआत में सहकारी समितियां गेहूंखरीदेंगी और इसके बाद महिला स्व-सहायता समूह एवं एफपीओ को कुछ केंद्र मिलेंगे. हालांकि जिले में एफपीओ की संख्या एक या दो से ज़्यादा नहीं हैं और इसीलिए ज़्यादातर खरीदी में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ही सामने आएंगी. अभी 82 केंद्र निर्धारित किए जा चुकें हैं और बाकियों का चयन मुख्यालय से जल्दी ही करा जाएगा. महिला SHG के लिए ये कदम बहुत बड़ा साबित होगा और उम्मीद हैं की आने वाले वर्षों में गेहूं खरीदी में स्वयं सहायता समूह और बड़े पैमाने पर सामने आएँगे.

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति कार्यालय गेहूं SHG एफपीओ जबलपुर स्वयं सहायता समूह