देश बांट रखे हैं जिन सरहदों ने, उन पर कोई चैन से कैसे रह सकता हैं... ये कहना हर इंसान का हैं, जो भारत पाकिस्तान की सरहद के पास बसे गांव में रहतें हैं. देश में जब भी Line Of Control (LOC) पर हलचल होती थी तो हर घर में डर का माहौल हो जाता था. सेना कभी भी इन घरों को खली कर बंकरों में जाने का बोल देती थी. उरी के कितने परिवार हैं जो इन बंकरो में रहकर दिन पर दिन गुज़ार दिया करते थे. Cease Fire के बाद से LOC पर माहौल ठंडा हैं और यह बंकर खाली थे. यहाँ के ग्रामीण महिलाओं ने इन खाली बंकरों से आजीविका बनाने का सोचा और इनमें मशरूम उगाना शुरू कर दिए. मशरूम उगाने के लिए एक दम सही माहौल होता है बंकरों का- अंधेरा और नमी. स्थानीय महिलाएं इनमें एक ही मौसम में मशरूम की दो फसलें उगाने का प्रशिक्षण दे रही है.
जब तक युद्ध का माहौल था तब तक इन परिवारों ने सिर्फ खुद को और अपने परिवारों को सुरक्षित रखने के बारे में सोचा, लेकिन अब जब सब कुछ सामान्य हैं तो ये खुद को आगे बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं. ये महिलाएं प्रत्येक बोरी लगभग ₹500-750 में बेचते हैं. जीरो लाइन के करीब के इन गावों ने भरपूर लाभ प्राप्त करना शुरू कर दिया है. जिन खेतों को ग्रामीणों ने एक बार छोड़ दिया था, उन्हें पुनर्जीवित किया जा रहा है और अब, वहाँ मशरूम उगाए जाएंगे. स्वयं सहायता समूह (SHG) चलाने वाली एक महिला आबिदा बेगम कहती हैं- "मैंने पहली बार पिछली शरद ऋतु में मशरूम की खेती की और 40 दिनों में फसल काटकर ₹40,000 कमाए. इस बार फिर से मेरी मशरूम की फसल तैयार है. हमारे पास पर्याप्त भूमि नहीं है इसलिए यह आय का एक अच्छा स्रोत होगा.”
मशरूम किसानों की सफलता को स्वीकार करते हुए, सरकार भी नंबला को क्षेत्र के "मशरूम गांव" के रूप में विकसित कर रही है. नंबला के प्रभारी कृषि विस्तार अधिकारी नईम शफी कहते हैं- "मशरूम की खेती विशेष रूप से भूमिहीनों के लिए वरदान है. विभाग उरी में ग्रामीणों को प्रशिक्षण दे रहा है कि कैसे वे इन बंकरों में एक ही मौसम में मशरूम की दो फसलें उगा सकते हैं. विभाग मशरूम उगाने वाले Self Help Groups के लिए सामुदायिक बंकरों का उपयोग करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रहा हैं." वे आगे कहते हैं- “क्रॉस-वेंटिलेशन और एग्जॉस्ट फैन लगाने जैसे तकनीकी पहलुओं पर हमारी टीमों ध्यान दे रहीं है. यह गेम-चेंजर साबित हो सकता है और SHG महिलाओं को आय का एक स्थायी स्रोत प्रदान कर सकता है." जितना खतरा LOC पर होता हैं उतना शायद ही कही और हो. लेकिन फिर भी यहाँ की महिलाओं ने हिम्मत करी और अपने जीवन को रास्ते पर लाने के लिए स्त्रोत तैयार किया. देश की हर महिला इनसे सीख सकती हैं और आगे बढ़ने के लिए नए प्रयास कर सकती हैं.