व्हिस्पर नहीं ..... अब ज़ोर से बात होगी

आज स्वसहायता समूह महिलाओं की परेशानियों पर भी ग़ौर कर उनका हल निकालने में सफ़ल है. आज कई स्वसहायता समूह सेनेटरी पैड बना रहे हैं जिससे हर तबके की महिलाओं और लड़कियों तक,  ख़ासकर ग्रामीण इलाकों में, मासिक धर्म उत्पादों तक आसानी से पहुंच हो पाए.

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मिस्बाह
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शश्श्श्श्श्शश्श्श्श्शश... ज़रा धीरे बोलो, पेड का नाम इतनी ज़ोर से नहीं लेते. जिस देश में सैनिटरी पेड के ब्रांड का नाम ही व्हिस्पर हो वहां  ऐसी ही बातें होंगी. आज जब हम स्वच्छता पर इतना ज़ोर दे रहे हैं वहीं महिलाओं की मासिक धर्म स्वच्छता पर बात कानों में दबी आवाज़ में ही होती है. आज कुछ महिलाएं ये चुप्पी तोड़ रही हैं और पीरियड्स जैसी नेचुरल प्रक्रिया पर खुलकर बात कर बेहतर स्वास्थ्य के लिए क़दम उठा रही हैं. वैसे तो आज पिछले 50 सालों की तुलना में महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर है पर हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में आज भी स्त्री रोगों के 70% मामले खराब मासिक धर्म स्वच्छता के कारण होते हैं. भारत में 88% ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड की जगह कपड़े, राख, घास या रेत जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करती हैं.

आज स्वसहायता समूह महिलाओं की आर्थिक आज़ादी के लिए तो चर्चित हैं हीं पर साथ ही ये समूह महिलाओं की परेशानियों पर भी ग़ौर कर उनका हल निकालने में सफ़ल है. आज कई स्वसहायता समूह सेनेटरी पैड बना रहे हैं जिससे हर तबके की महिलाओं और लड़कियों तक,  ख़ासकर ग्रामीण इलाकों में, मासिक धर्म उत्पादों तक आसानी से पहुंच हो पाए.

राजस्थान में जननी सेवा संस्थान स्वसहायता समूहों के साथ ग्रामीण इलाकों में कम लागत वाले सैनिटरी पैड का उत्पादन और वितरण कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में महिला उमंग प्रोड्यूसर्स कंपनी एक SHG फेडरेशन द्वारा चलाई जाती है और नेचर फ्रेंडली सैनिटरी पैड, मासिक धर्म कप और कपड़े के पैड सहित कई मासिक धर्म स्वच्छता उत्पाद बनाती है. महाराष्ट्र में सखी सोशल एंटरप्राइज नेटवर्क स्वसहायता समूहों के साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड बनाते और बांटते हैं. आस पास के SHG को ये ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश में किशोरी विकास संगठन किशोरियों और युवतियों के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में कम कीमत के सैनिटरी पैड बना रहे हैं और  मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. 

महिलाओं की सेहत और मासिक धर्म स्वच्छता को एक क़दम आगे बढ़ाया है नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डिवेलपमेंट (NABARD) के 'माई पैड माई राइट' (MPMR) प्रोजेक्ट ने. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता में सुधार के लिए इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया. यह कश्मीर क्षेत्र में इस तरह की पहली परियोजना है और इसका उद्घाटन NABARD के सीजीएम डॉ ऐ के सूद के साथ अनंतनाग के उपायुक्त (DC) डॉ. बशारत कयूम ने किया. इस प्रोजेक्ट में SHG की महिलाएं काम कर रही हैं जिससे उन्हें रोज़गार मिला और मासिक धर्म स्वच्छता पर समझ बड़ी.

यह पहल उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के शाहगुंड गांव की स्वसहायता समूह ने भी की. इनका साथ दिया JKRLM UMEED ने. कुछ ही महीनों में महिलाओं ने 'राहत' के ब्रांड नाम के तहत बड़ी संख्या में सैनिटरी नैपकिन बनाने शुरू किये. आज संस्थाएं और सरकार महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद कर रही हैं. आज हमे ज़रुरत है कि सब साथ मिलकर महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में भी सोचें और मासिक धर्म स्वच्छता की इस पहल को हर कस्बे, हर गांव के कौने तक लेकर जायें. 

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