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लोगों से भरी ईदगाहों, रोशन हुए बाज़ारों, और खूब ज़ोर-शोर के साथ देशभर में ईद का त्यौहार मनाया गया. लेकिन, लद्दाख में स्थानीय महिलाओं ने ईद पर कुछ नया किया. 'सफाई आधा ईमान है', ये सोचकर ईद पर अपने घरों की सफाई की जाती है, पर करिथ के मूक गांव की महिलाओं ने सिर्फ अपने घरों की नहीं, पर पूरे गांव की सफाई करदी. चांदरात वाली शाम गांव की महिलाओं ने स्वच्छता के नारे लगाए और स्वयं सहायता समूह की मदद से पूरे गांव की सफाई की.
ये पहल वहां के स्वयं सहायता समूह ने अमा चोकस्पा कारिथ के सहयोग से की जिसमें सभी ग्रामीणों ने भाग लिया. कार्यक्रम का लक्ष्य प्रकृति और लोगों में तालमेल बैठाना था. इस कार्यक्रम के ज़रिये स्वच्छ जीवन, प्रकृति और लोगों के बीच संतुलन बनाए रखने की शुरुआत हुई. ईद उल फ़ित्र को लाभदायक तरीके से मनाने के लिए करिथ गांव के लोगों ने स्वच्छता कार्यक्रम-'स्वच्छ करिथ अभियान' चलाकर पूरे गांव को साफ़ कर दिया.
करिथ गांव ने इससे पहले भी कई अनोखी और लाभदायक पहलें की हैं जो देश के बाकी गांवों के लिए रोल मॉडल बनी. स्थानीय एनजीओ ने एक पायलट स्कूल और आइस स्तूप की भी शुरुआत की थी, जिसे सिर्फ लद्दाख में नहीं, बल्कि देशभर में पसंद किया गया और कई राष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित किया. लद्दाख का ये छोटा सा गांव अपने बड़े कामों से देशभर के शहरों और गांवों के लिए मिसाल बन रहा है. त्यौहार तो सब मनाते हैं, पर उत्सव में सामाजिक कल्याण को शामिल करना त्यौहार की खुशियों को दो गुना कर देता है.