भारतीय संस्कृति में चार धाम यात्रा की जितना महत्व है उतना शायद ही किसी और धर्मिक यात्रा एक होगा. हर साल पुरे देश से लाखों की संख्या में श्रद्धालओं की भीड़ इस यात्रा को करने के लिए 'देवभुमि' उत्तराखंड आतें है और अपनी इस पवित्र यात्रा को समाप्त करने के लिए कड़ी यात्रा करते है. उत्तराखंड में रहने वाली स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को इन श्रद्धालुओं से अपनी आजीविका तैयार करने में बहुत मदद मितली है. केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री समेत चारों धाम में बिकने वाला प्रसाद महिला self helps groups तैयार कर रही हैं. भारत के प्रथम गांव माणा में भी स्थानीय उत्पादों की खूब मांग है. समूह केदारनाथ मंदिर वाले सोवेनियर बनाकर भी बेच रहे हैं. यात्रा रूट पर करीब 20 SHGs काम कर रहे हैं. साथ ही समूह मोटे अनाज और पहाड़ी उत्पाद हिलांस बिक्री केंद्र और अपने स्टॉल लगाकर बेच रहे हैं. पयर्टकों के लिए GMVN Gaurikund के गेस्ट हाऊस में जूट के बैग में लोकल उत्पाद रखे गए हैं.
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सुरकंडा आजीविका समूह सुरकंडा मंदिर के लिए प्रसाद बनाने का भी काम करता है. यमुनोत्री धाम में भी प्रसाद राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जाता है. बदरीनाथ धाम में प्रसाद स्थानीय महिला समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है. कपाट खुलने के साथ ही भारत के प्रथम गांव माणा में भी स्थानीय उत्पादों का कारोबार तेज हो गया है. यात्री यहां पहुंच ग्रामीणों के द्वारा बनाये गए वस्त्र, कार्पेट, मफलर, टोपी, जड़ी बूटियां, भोज पत्र पत्तों की माला, वाल हैंगिग के सोवेनियर खरीद रहे हैं. Self Help Group की महिलाएं चार धाम की यात्रा से एक अच्छी आजीविका कमाकर अपने परिवार को आसानी से चला पा रहीं है.