खर-पतवार से रोजगार

दक्षिण भारत में स्थित 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान' ट्राइबल्स और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस वीड से कई उत्पाद बना रहे हैं. लैंटाना को मैन्युअल रूप से हटाने और चरागाह विकास कार्यक्रम के जरिये, 70 से 100 ट्राइबल महिलाएं दैनिक आधार पर काम करतीं हैं.

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रिसिका जोशी
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Women making products from lantana weed

Image Credits: Deccan Herald

महिलाएं पुरे देश में अपनी कला और कौशल के दम पर बहुत अच्छे से अपने घर परिवार चला रहीं हैं. इनकी कला से बने उत्पाद देश और दुनिया के कोने-कोने तक जा रहे हैं. दक्षिण भारत में स्थित 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान' में भी बांदीपुर वन विभाग ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की. यह पूरा क्षेत्र लैंटाना वीड्स से संक्रमित है. इसीलिए यहाँ के ट्राइबल्स और स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएं इस वीड से कई उत्पाद बना रहे हैं. बांदीपुर वन विभाग के क्षेत्र निदेशक और वन संरक्षक डॉ. रमेश कुमार पी ने कहा- “लैंटाना को मैन्युअल रूप से हटाने और चरागाह विकास कार्यक्रम के जरिये, 70 से 100 ट्राइबल महिलाएं दैनिक आधार पर काम करतीं हैं. इस गतिविधि का बाय प्रोडेक्ट लैंटाना शिल्प निर्माण है. 

लैंटाना कैमारा का पौधा बाघ पारिस्थितिकी तंत्र का साइलेंट किलर है. यह मिट्टी में पोषक चक्र को बदल देता है. लैंटाना के व्यापक भक्षण से पशुओं में एलर्जी, दस्त, लिवर फेलियर, यहाँ तक की जानवर की मृत्यु भी हो सकती है. साथ ही, इस पौधे की अत्यधिक वृद्धि से जंगल में आग लगने का भी डर है. इसीलिए बांदीपुर का वन विभाग महिलाआदिवासियों को प्रशिक्षण दे रहा है. डॉ. रमेश ने कहा- "56 दिनों के लैंटाना शिल्प प्रशिक्षण से बिना जंगल पर निर्भर हुए ये लोग गर्व के साथ अपनी आजीविका कमा सकते हैं. अब तक, दो महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें प्रत्येक समूह में 20 सदस्य थे. ये आदिवासी लैंटाना के पौधे के तनों से तरह-तरह के फर्नीचर के सामान और खूबसूरत उत्पाद बनाना सीखते हैं और इन उत्पादों को सफारी पॉइंट्स पर बेचते हैं जहां हर दिन अच्छी संख्या में पर्यटक आते हैं."

बांदीपुर टाइगर रिजर्व और इसके वन्य जीवन के बारे में स्थानीय छात्रों और आसपास के गांव के लोगों को जागरूक बनाने के लिए वन विभाग की एक अन्य पहल "बांदीपुर युवा मित्र" कार्यक्रम है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बांदीपुर में 3 जनवरी 2023 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की और छात्रों की सफारी के पहले बैच को झंडी दिखाकर रवाना किया. डॉ. रमेश ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा- "वन्य जीवन के संरक्षण के उद्देश्य से बांदीपुर के ये प्रशिक्षित युवा मित्र या ईको वॉलंटियर्स समुदाय के बीच और जागरूकता पैदा करेंगे, वन्यजीव और लोगों के मध्य एक सौहार्दपूर्ण संबंध भी विकसित करेंगे जो मनुष्यों और जानवरों के बीच होने वाले किसी भी संघर्ष के साथ वन्यजीव समस्याओं को हल करने में मदद करेगा." कर्नाटक सरकार की इस पहल से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में बहुत मदद मिलेगी. ट्राइबल महिलाओं को सशक्त बनने की और यह एक बहुत बड़ी पहल साबित होगी.

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