कभी न कभी आपने ज़रूर सुना होगा ,"महिलाओं की जगह बस किचन में है. पर ज़रा सोचिये अगर ये महिलाएं अपने किचन को ही कमाई का ज़रिया बना लें ? फिर कौन ही रोक सकता है इन्हें ? जब बैंगलुरू, हैदराबाद, और गुरुग्राम के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं साथ आईं तो शुरू हुआ क्लाउड किचन. क्लाउड किचन एक ऐसा रेस्टोरेंट है जहां सिर्फ टेक अवे ऑर्डर ही लिए जाते हैं, मतलब आप वहां बैठकर नहीं खा सकते. कोविड-19 लोकडाउन के बाद से ये क्लाउड किचन लोगों की सहूलियत और पसंद बन गए. एचएसबीसी इंडिया और पीसीआई (पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री) ने 3 शहरों में 1500 महिलाओं के साथ 30 क्लाउड किचन शुरू करने का फैसला लिया.
5 किचन के साथ इस पहल की शुरुआत हो चुकी है. इन पांचों रसोइयों का संचालन स्वयं सहायता समूह की 150 महिलाएं कर रही हैं. इस पहल से अर्बन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और युवाओं को रोज़गार मिलेगा. सोसाइटी के ट्रेंड को फॉलो करते हुए क्लाउड किचन लोगों को साफ़ और पौष्टिक पका हुआ भोजन आसानी से पहुचायेगा. इस शुरुआत से शहरों में गरीबी और बेरोज़गारी से जूझ रही महिलाओं को बिज़नेस ऑनर बनने का बेहतरीन मौका मिला. क्लाउड किचन का संचालन राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और तीनो राज्यों की राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और नगर निगम की साझा देखरेख में होगा.
रसोई की महिलाओं या 'दीदियों' को फ़ूड सर्विस के सभी पहलुओं पर ट्रेनिंग दी गई है. इस ट्रेनिंग में उन्हें व्यवसाय विकास, फ़ूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, डिजिटल प्लेटफॉर्म और सिस्टम मैनेजमेंट, क्वालिटी कंट्रोल, सुरक्षा, स्वच्छता, जैसी कई अहम बातें सिखाई गईं. दीदियों की ये रसोई साल भर स्वादिष्ट भोजन परोसेगी. ये क्लाउड किचन सीधे कॉरपोरेट क्लाइंट्स, पीजी और स्विगी और ज़ोमैटो जैसे फूड ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म के ज़रिये भी खाना डिलीवर करेंगे.
क्लाउड किचन के लॉन्च पर पीसीआई इंडिया के सीईओ और कंट्री डायरेक्टर, इंद्रजीत चौधरी ने कहा, “इस पहल से SHG महिलाओं को ख़ुद का बिज़नेस शुरू करने का मौका मिलेगा. यह सामुदायिक स्तर पर रोजगार पैदा कर कॉम्पिटिटिव रेट पर पौष्टिक, स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराएगा."
ये दीदियां फ़ूड इंडस्ट्री के ट्रेंड को फॉलो कर खुद के पैरों पर खड़ी हो रही हैं. अर्बन SHG की इस पहल को बाकी शहरों को भी कॉपी करना चाहिए जिस से ज़्यादा से ज़्यादा शहरी महिलाओं को गरीबी के चंगुल से छूटने का मौका मिले.