ऐसे तो भारत बहुत सी चीज़ों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्द है, लेकिन यहां खाना कुछ ऐसा है कि जो एक बार स्वाद चखे वो फिर कभी नहीं भूल सकता. हर राज्य की अपनी कुछ स्थानीय पहचान है. लोग चाहे किसी भी स्टेट के हो, खाने के शौकीन है. स्थानीय व्यंजनों को लोक्रपिय करने के लिए राज्य सरकारें भी हर संभव प्रयास करती है. जैसे हाल ही में त्रिपुरा के अगरतला में रहने वाले लोगों के स्थानीय भोजन को फेमस करने के लिए हाल ही में वन भोजन उत्सव का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या युवा पहुंचे.
इस उत्सव में 10 से ज़्यादा स्वयं सहायता समूह (SHG) ने उत्सव में भाग लिया जिसका उद्धाटन जनजाति मंत्री बिकाश देबबर्मन ने किया था. बिकाश देबबर्मन ने कहा- “आधुनिक जीवन ने लोगों को उनकी जड़ों से दूर कर दिया है. हमें उम्मीद है कि सरकार के समर्थन से पारंपरिक भोज उत्सव व्यंजनों को संरक्षित करने में मदद करेंगे.” उत्सव में आईं सुनीता सरकार ने कहा कि- "‘बंगोई’, ‘पोर्क भरता’ और ‘गुडोक’ पूर्वोत्तर राज्य के लोगों में खासे लोकप्रिय हैं. अब यह वन भोजन आम लोगों में भी लोकप्रिय हो रहा है.” वन विभाग के प्रधान सचिव के.एस. सेठी ने कहा- "जंगलों में रहने वाले आदिवासी बायोडाइवर्सिटी की रक्षा करते हैं और स्वच्छ भोजन तैयार करते हैं, क्योंकि वे मसालों और तेल का उपयोग नहीं करते. हम शहरों और कस्बों में रहने वाले लोगों के बीच वन भोजन को लोकप्रिय बनाना चाहते हैं. इसलिए हमने वन भोजन उत्सव का आयोजन किया. इससे जंगलों में रहने वाले लोगों की आजीविका में भी सुधार होगा.”
सरकार की यह कोशिश खाद्य पदार्थों को लोक्रपिय बनाने में एक बड़ा कदम है. स्वयं सहायता समूह (SHG) भी बहुत से पारम्परिक उत्पाद तैयार करते है और उन्हें लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करते है. यह उत्सव Self Help Group की महिलाओं के लिए भी बड़ी पहल साबित होगा. महिलाओं को इस उत्साव में आकर अपने उत्पादों को लोक्रपिय बनाने का सफल प्रयास करना चाहिए.