मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की विजिट पर सबकी निगाहें हैं. इसकी वजह महिला सशक्तिकरण (women empowerment) को माना जा रहा है. वीरांगना रानी दुर्गावती शहीद दिवस यात्रा के दौरान पीएम की यह विजिट है. पीएम की विजिट को ख़ास बनाने के लिए ट्रेडिशनल ट्राइबल कल्चर को फ़ोकस किया. आजीविका मिशन से लगाकर महिला पंचायत को खास अवसर दिया जा रहा. यहां तक कि मोदी को मोटे अनाज (Millets) से तैयार भोजन परोसा जाएगा. इसे स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) की महिला सदस्य ही तैयार करेंगी जिले में 12 हजार समूह में 62 हजार से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर बन बन गईं. जिला परियोजना प्रबंधक विष्णुकांत विश्वकर्मा कहते हैं - "यहां आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जुड़ी महिलाओं ने अलग-अलग कारोबार कर आत्मनिर्भर हो गईं. यही पीएम का स्वागत करेंगी. "
27 जून को पीएम मोदी शहडोल के लालपुर हवाई पट्टी पर आएंगे. यहां चल रही रानी दुर्गावती यात्रा भी शामिल होगी. यहां लगभग एक लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है. पीएम एक घंटे रुकने के बाद पकरिया गांव पहुंचेंगे. इस गांव की खासियत यह है कि पंचायत में महिलाओं का ही दबदबा है. सरपंच गेंदबाई बैगा पहले भी पांच साल सरपंच रही. अभी भी वे ही कमान संभाल रही. यहां तक कि उपसरपंच रेखा चौधरी का भी दूसरा टर्म है. इसके अलावा 20 वार्ड के इस गांव में 13 महिला पंच हैं. सरपंच गेंदबाई कहती हैं - "ये हमारी पंचायत का सौभाग्य है कि पीएम आएंगे और भोजन भी करेंगे. हमें विकास कि बहुत उम्मीद है."
स्वयं सहायता समूह सदस्यों को मौका
पीएम मोदी के इस दौरे में SHG की सदस्यों को ही मौका मिला. पीएमओ ने समूह की महिलाओं के हाथों बना भोजन खाने की सहमति दी है. ये दीदियां हीं मिलेट्स से तैयार भोजन परोसेंगी. इसमें ज्वार, बाजरा, कोदो सहित अलग-अलग आइटम रखे जाएंगे. आम के पेड़ के नीचे पीएम लकड़ी के तखत पर बैठ इन महिलाओं से भी बात करेंगे. इस चौपाल को ट्रेडिशनल लुक देने के लिए कमिश्नर राजीव शर्मा, एडीजी डीसी सागर, अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा सहित आदिम जाति कल्याण विभाग के अफसर लगातार तैयारियों में जुटे हैं.
सिकलसेल मुक्ति मिशन की शुरुआत
पीएम मोदी लालपुर में सिकलसेल 2047 मिशन की शुरुआत करेंगे. इसके अलावा आयुष्मान कार्ड वितरण भी होगा. लालपुर से पकरिया गांव तक ट्रेडिशनल आदिवासी नर्तकों की प्रस्तुति होगी. परंपरागत संगीत और वाद्य यंत्रों की व्यवस्था भी की गई. चौपाल का सिन बनाने के लिए बगीचे को गोबर से लीपा गया, जिस पर खाट लगाए जाएंगे.