रतलाम कर रहा स्वच्छता में NO.1 बनने की तैयारी

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत रतलाम जिले मेें लगभग 6000 स्वयं सहायता समूह हैं. ये समूह जिले में सार्वजनिक स्थानों पर 79 स्वच्छता परिसरों का संचालन और देखभाल कर रहे हैं. जिले में कुल 145 स्वच्छता परिसर बनाने की योजना है. 

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मिस्बाह
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Image Credits: ACN Times

इंदौर ने तो स्वच्छता में बाज़ी मारली है, और अब इंदौर से 140 किलोमीटर दूर रतलाम जिला भी स्वच्छता परिसरों का निर्माण कर स्वच्छता की इस रेस में आगे निकलने की तैयारी  कर रहा है. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत रतलाम जिले मेें लगभग 6000 स्वयं सहायता समूहों के ज़रिये करीब 66800 परिवारों को लाभ मिल रहा है. महिलाओं के ये समूह कई तरह की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान कर रहे हैं. इस बार इन समूहों ने स्वच्छता की कमी को दूर करने की ठानी. ये समूह जिले में सार्वजनिक स्थानों पर 79 स्वच्छता परिसरों का संचालन और देखभाल कर रहे हैं. जिले में कुल 145 स्वच्छता परिसर बनाने की योजना है. 

परिसर बस स्टैंड, हाट बाजारों इत्यादि सार्वजनिक जगहों पर बनाए जा रहे हैं. अगले महीने 66 और परिसर भी बनकर तैयार हो जाएंगे. निर्माण के साथ-साथ खुले में शौच न करने का संदेश भी दिया जा रहा है. परिसर के बाहर दो दुकानें भी बनाई जा रही हैं जिसका संचालन स्थानीय समूह कर रहे हैं. परिसरों की सफाई की ज़िम्मेदारी स्वसहायता समूहों ने उठाई. इसके बदले समूह को दुकानों का किराया नहीं देना होगा. जिले की कई पंचायतों में 465 स्क्वेयर फीट में स्वच्छता परिसरों का निर्माण 45 लाख रुपयों की लागत से किया जा रहा है. परिसर के बाहर बनी दुकानें 36-38 स्क्वेयर फीट की हैं. 

समूह की महिलाओं ने यहां किराना, सलून, होटल,और टेलरिंग की दुकानें शुरू की हैं. कुछ परिसर फोरलेन सड़क पर बने हैं जिसकी वजह से समूहों को फायदा मिलेगा. रूपनगर फंटा, बड़ोदिया, कराडिया, करिया,बडावदी,आक्याकला, रुपडी सहित 79 गांवों के स्वच्छता परिसरों में दुकानें शुरू हो चुकी हैं. योजना के अनुसार आलोट में 33, बाजना में 25, जावरा में 20, पिपलोदा में 20, रतलाम 31, सैलाना में 16

स्वच्छता परिसर होंगे. साथ ही जिले में  ई-रिक्शा से कचरा संग्रहित कर गांव की स्वच्छता को बढ़ाने का काम भी चल रहा है. 84 गांवों में ही बने सेग्रीगेशन शेड में भी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं काम कर रही हैं. 

न केवल रतलाम में स्वछता बढ़ेगी, पर महिलाओं और उनके परिवारों को इस रोज़गार से मदद भी मिल सकेगी. समय-समय पर समूहों ने सरकार की योजना को ज़मीन पर लागू करवाने में मदद की है. इस बार भी इस फैसले से स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण योजना को नई ऊंचाई मिल सकेगी.  

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