ओलिंपिक में भारतीय खिलाड़ियों पर पूरी दुनिया की नज़र टिकी होती है. बर्लिन में आयोजित 2023 स्पेशल ओलिंपिक्स वर्ल्ड गेम्स (2023 Special Olympics World Games) में भी भारत ने बाज़ी मारी. गोवा की पॉवरलिफ्टर सिया सरोदे (Siya Sarode) ने 1 नहीं, 2 नहीं, बल्कि 4 मैडल जीतें. गोवा में संजय सेंटर फॉर स्पेशल एजुकेशन (Sanjay Center for Special Education) की छात्रा सिया को शुरुआती वीजा (Visa) मिलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, और दस्तावेज़ गुम होने की वजह से उसे खेलों में भाग लेने से लगभग रोक दिया गया था.
सिया ने डेडलिफ्ट (deadlift) और स्क्वाट (squat) में दो गोल्ड, कंबाइंड केटेगरी (combined category) में एक सिल्वर और बेंच प्रेस (bench press) में एक ब्रॉन्ज़ मैडल जीता. अपनी मां को खोने और अपने पिता के लापता होने के बाद सिया चाचा और चाची के साथ रहने लगी. वीज़ा के लिए उन्हें लीगल गार्डियन सर्टिफिकेट (Legal Guardian Certificate) चाहिए था जो उनके पास नहीं था. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की मदद से सिया को जल्द ही सर्टिफिकेट बनवाने में मदद मिली.
उनकी टीम बर्लिन (Berlin) की लिए रवाना हो चुकी थी. विश्व खेल शुरू होने से केवल 24 घंटे पहले सिया को वीजा मिला, जिससे वे खेल में भाग ले सकी. स्पेशल ओलंपिक भारत के राष्ट्रीय खेल निदेशक विक्टर वाज़ ने सिया की क्षमताओं पर भरोसा जताया. उन्होंने वीज़ा लेने में सिया की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (CM Pramod Sawant), समाज कल्याण मंत्री सुभाष फल देसाई (Social Welfare Minister Subhash Phal Desai) और राज्य विकलांगता आयुक्त गुरुप्रसाद पावस्कर (State Disability Commissioner Guruprasad Pawaskar) का आभार व्यक्त किया.
गोवा की बिचोलिम में केशव सेवा साधना (Keshav Sewa Sadhna) की 15 वर्षीय छात्रा तानिया उल्हास उसगांवकर (Taniya Ulhaas) रोलर स्केटिंग (roller skating) में पोडियम पर गर्व से खड़ी थीं. तानिया की दृढ़ता का फल उन्हें मिला और उन्होंने 30 मीटर स्ट्रेट-लाइन रोलर-स्केटिंग में ब्रॉन्ज़ पदक जीता. स्पेशल खेलों में मैडल जीत इन्होंने बता दिया है कि चाहे क्षमताएं अलग हो, पर सही अवसर, मार्गदर्शन और सहायता मिले तो सपनों को साकार करना कोई मुश्किल नहीं . रविवार विचार भारत की दोनों यंग स्पोर्ट्स वुमन को सलाम करता है और जीत की बधाइयां देता है.
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