डेयरी ने बदली ज़िंदगी

गांव मिमारपुर की एक महिला ने भी इस मेले में खुदका एक स्टाल लगाया. यह महिला ख़ास इसीलिए है क्यूंकि इन्होने अपने साथ 200 महिलाओं को जोड देसी गाय का घी बनाने का करोबार शुरू किया.

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रिसिका जोशी
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Sonipat dairy

image Credits: udaipur kiran

हाल ही में हरियाणा जिला पुलिस लाईन ग्राउंड में एक व्यापार मेला लगा था. गांव मिमारपुर की एक महिला ने भी इस मेले में खुदका एक स्टाल लगाया. यह महिला ख़ास इसीलिए है क्यूंकि इन्होने अपने साथ 200 महिलाओं को जोड़कर देसी गाय का घी बनाने का करोबार शुरू किया. अपने साथ आस पास के गांव कि माध्यम वर्गीय 200 महिलाओं को रोजगार देकर राजकुमारी सबके लिए एक मिसाल बन गयी.राजकुमारी ने बताया- "वर्ष 2013 में मेरी एक देशी गाय से बनाने वाले उत्पादों की डेयरी थी, लेकिन कुछ समय बाद मजदूरों कि कमी के कारण वह नुकसान में चली गई.मैंने हिम्मत नहीं हारी और खुद को सशक्त बनाए के साथ मेरे जैसे 200 महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने में मदद की.  मैंने हर महिला को एक देशी गाय दे दी. अब ये महिलाएं गायों का भरण-पोषण करती है और मैं उनसे देसी गायों का दूध अच्छे दाम पर खरीद लेती हूँ."

उन्होंने हरियाणा (Haryana) राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से इन महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया. इन महिलाओं की सहायता से देशी गाय का घी, आचार, आंवले का मुरब्बा, जैम, चटनी, जैली, चुकंदर का जैम, आम की चटनी, जैविक खांड, गुड़ व शक्कर के अलावा विभिन्न प्रकार की कैंडी इत्यादि तैयार की जाती है और सब महिलाएं इन उत्पादों को बाज़ार में बेचती है. प्रत्येक महिला को महिने में लगभग 10 से 15 हजार रूपये की आमदनी आसानी से हो जाती है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राजकुमारी ने जो कदम उठाया वो बहुत ही सराहनीय है. ऐसे ही अगर हर महिला ठान ले और अपने जैसे बाकी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करने लगे तो भारत में बहुत आसानी से बदलाव आ जाएगा.

राजकुमारी गांव मिमारपुर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन पुलिस लाईन ग्राउंड हरियाणा स्वयं सहायता समूह