प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वछता आंदोलन की शुरुआत की, तभी से पुरे भारत में साफ़ सफाई को लेकर जागरूकता आई. स्वच्छ भारत मिशन ने शहरी और ग्रामीण भारत में स्वच्छता की अलख जगा दी. लोगो की भागीदारी के साथ यह एक बड़ा जान आंदोलन बना. पूरा भारत अपने शहरों, गाँव, सड़कों समेत हर जगह की सफाई में लग गया.
शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने 'स्टोरीज़ ऑफ़ चेंज' संग्रह का अनावरण किया और साथ ही स्वच्छता की अद्भुत ऑन-ग्राउंड सफलताएँ सामने लाये. इस कार्यक्रम के लिए 300 से अधिक महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य आये और विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन (वेस्ट मैनेजमेंट )
टेक्निक सीखें. यह SHG महिलाएं वह 'स्वच्छता दूत' बनी जिन्होंने भारत की सफाई में नयी सफलता दी खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में. शहरी भारत में करीब चार लाख महिलाएं सीधे स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन से जुडी हुई हैं. स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से हमने न केवल इन महिलाओं को सम्मान मिला बल्कि आजीविका के ठोस अवसर भी प्राप्त हुए.
स्वच्होत्सव 2023 में तेलंगना से आई शबाना बेगम ने अपने SHG श्री प्रसन्ना स्वयं सहायता समूह के बारें में बताया की कैसे वह भुवनेश्वर समेत भारत के अलग अलग हिस्सों में गए और स्वच्छता के मॉडल को समझा। उन्होंने समूह के साथ ड्राई रिसोर्स कलेक्शन सेंटर (डी आर सी सी ) की शुरुआत की। इसमें वह कचरा कलेक्शन, सेग्रिगेशन और उसका कम्पोस्ट बनाते है। इस तरह उनकी और समूह की आमदनी का जरिया भी बन गया है। शहरी कार्य मंत्रालय की इसमें महती भूमिका रही। शबाना आगे चाहती है की वह और भी नई चीज़ें सीखें और आगे बढ़े। शबाना एक मुस्कराहट के साथ बताती है कि स्वच्होत्सव 2023 के लिए दिल्ली आना उनकी पहली हवाई यात्रा है। हरदीप सिंह पूरी ने ख़ुशी जताई और साथ ही SHG महिलाओं को एकता और समझ के लिए बधाई दी। पुरी ने साथ ही दिल्ली के महत्त्व को भी बताया।
'स्वच्छोत्सव - 2023: कचरा मुक्त शहरों के लिए अलग अलग मंत्रालय साथ आये. यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट प्रोग्राम ( यूएनईपी ) और यूएन हैबिटेट भी अंतरराष्ट्रीय जीरो वेस्ट 2023 का हिस्सा बने. महापौरों, आयुक्तों, मिशन निदेशकों, व्यापार और तकनीकी विशेषज्ञों, महिला और युवा प्रमुख स्वच्छता, तकनीकी संस्थानों, विकास भागीदारों सहित 350 से ज़्यादा प्रतिनिधि ने भाग लिया.
आज शहरी भारत खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बन गया है, इसी के साथ स्वाच भारत मिशन अर्बन (एसबीएम-यू ) के लक्ष्यों के रिज़ल्ट देखते हुए, दृढ़ संकल्प के साथ दूसरे चरण (एसबीएम-यू 2.0) की संभावनाएं कई गुना बढ़ गयी है. अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करना , भारत की प्रतिबद्धताओं का एक महत्वपूर्ण पहलू है. पिछले साल जून में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LiFE) आंदोलन की शुरुआत की और सब से अपने जीवन में 'वेस्ट टू वेल्थ' और सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणाओं को बुनकर 'प्रो-प्लैनेट पीपल' बनने का आग्रह किया. 2023-24 के बजट ने सूखे और गीले कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर अधिक ध्यान दिया.
इस स्वच्छता मिशन में शहरी क्षेत्रों में SHG महिलाएं भी अपनी सतत भागीदारी दे रही है. ओडिशा में मिशन शक्ति और वहाँ के हाउसिंग अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में एक गढ़बंधन हुआ जिसमे ओडिशा के 16,000 से ज़्यादा स्वयं सहायता समूह (SHG ) गीला और सूखा वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहे है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 58,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को ग्राम पंचायतों में बन रहे शौचालयों का जिम्मा सौपा गया है. और ये सिर्फ इन दो राज्यों की बात नहीं है. स्वयं सहायता समूह पुरे देश में जोरो शोरो से काम कर रहे है.
आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (एमओएचयूए) - शहरी गरीब महिलाओं के समूहों को स्वयं सहायता समूहों में शामिल कर रहा है और ऐसे अवसर प्रदान कर रहा है जो उन्हें स्किल ट्रेनिंग और रोजगार के लिए मदद देगा. 2017 में केंद्र ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) में योगदान के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को पुरुस्कार देने का भी फैसला किया था. भारत मिशन के निदेशकों और नगर निगम आयुक्तों ने हाल ही में कहा कि सरकार महिला स्वयं सहायता समूह को स्लम्स में जोड़ना चाहती है, ताकि इस पहल को पुरे प्रभाव से आगे बढ़ाया जा सके.
शहरी क्षेत्रों के SHG स्वच्छता मिशन को कारगर और सफल बनाने की वर्कफोर्स बन सकते है. विकास और विश्वास का अनूठा सम्बन्ध देश के स्वयं सहायता समूहों के पास मौजूद है. अर्बन पृष्ठभूमि को जिस कम्युनिटी जोड़ की ख़ास ज़रुरत है उसे SHG पूरा करते है. यही ताक़त स्वछता मिशन की क्रांति को अपना बल देकर पूरा देश के लिए बहुत कुछ करने की क़ाबलियत रखते है.