जम्मू की मिठाई वाली दीदी

ममता ने अपने पति को खुदकी मिठाई की दुकान खोलने में मदद की. साथ ही, उन्होंने समूह की महिलाओं के साथ कपड़े के थैले, ट्रैकसूट, राष्ट्रीय ध्वज बनाने, और क्लाउड किचन का काम भी शुरू किया.

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mithai didi

Image Credits: Greater Kashmir

साईकिल वाली दीदी, पत्रकार दीदी, अचार दीदी की कुछ अलग कर दिखाने की कहानियां तो हमनें सुनी. सूपर वुमन की लिस्ट में एक नाम और जुड़ा है - मिठाई वाली दीदी. कम आय, वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाली ममता देवी ने जम्मू और कश्मीर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (उम्मीद) से वित्तीय सहायता लेने के बाद उपनाम "मिठाई वाली दीदी" के नाम से फेमस हो गई. देवी बिश्नाह गांव की रहने वाली हैं. वह घर पर ही रहती थी. उनके पति मिठाई की दुकान पर काम करके रोज़ी-रोटी कमाते थे. उनके जीवन में तब बदलाव आया जब 2015 में वह 10 महिलाओं के साथ बिश्नाह स्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG) में शामिल हुई.

थोड़ी हिचकिचाहट के बाद ममता देवी SHG में शामिल हुई और धीरे-धीरे, समूह की मदद से आर्थिक रूप से मज़बूत होने लगी. वे गृहिणी से एक सफल व्यवसायी बनी. जम्मू और कश्मीर में संसाधनों की कमी से पीड़ित ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने अहम भूमिका निभाई. जरूरतमंद एसएचजी सदस्यों को कम ब्याज पर ऋण मिलने से वे रोज़गार शुरू कर पाये और जल्द ही लोन भी चुका दिया. बचत कर ममता ने दो पक्के कमरे बनाए. इससे पहले, उनका परिवा कच्चे घर में रहता था और बारिश के दौरान  छत से पानी टपकने पर काफी मुश्किल होती थी.

ममता ने अपने पति को खुदकी मिठाई की दुकान खोलने में मदद की. साथ ही, उन्होंने समूह की महिलाओं के साथ कपड़े के थैले, ट्रैकसूट, राष्ट्रीय ध्वज बनाने, और क्लाउड किचन का काम भी शुरू किया. बिश्नाह में कुछ SHG सदस्यों ने रेडीमेड कपड़ों की दुकानें भी खोली. अपने  व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्हें आसानी से ऋण मिला. उन्हें पूरे जम्मू-कश्मीर, यहां तक ​​कि बाहर भी अपने काम को प्रदर्शित करने का मौका मिला. बावे (जम्मू) में एक दुकान शुरू कर ममता ने दस दिनों में 35 हज़ार रुपये कमाए. सरकार डिग्री कॉलेज फॉर वीमेन, गांधी नगर, और पुलिस मुख्यालय में मिठाई की स्टॉल लगाई. 

49 साल की उम्र में आकर उन्होंने आर्थिक रूप से मज़बूत बनने का सपना पूरा किया और वो सभी आर्थिक कठिनाइयों से बाहर आई. नौ साल लगातार मेहनत के बाद उन्हें बिश्नाह के बाहर भी लोग 'मिठाई वाली दीदी' के नाम से जानने लगे. उन्होंने महिलाओं को SHG से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.  

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