चाहे किसी भी क्षेत्र में देख लो, लड़कियां लड़कों के बराबर, या उनसे आगे ही मिलेंगी. बराबरी के अधिकार, काम और पहचान महिलाओं का हक़ है. हाल ही में UPSC के नतीजे आए थे जिनमें पहली चार रैंक्स पर लड़किया थीं. 'एप्पल कंपनी' (Apple Company) के Swift Challenge में एक लड़की के बनाए ऐप को चुना गया, और ऐसे न जाने कितने उदाहरण दिए जा सकते है महिलाओं की उपलब्धियों के. ऐसे में जब कॉर्पोरेट जॉब्स में gender diversity की बात आती है, तब सरकार और कम्पनियाँ इसे बराबर करने के लिए हर तरह का प्रयास करने की कोशिश करतीं है. भारत में आज भी 'जेंडर पे गैप' और 'वर्कफोर्स में महिलाओं की साझेदारी' आज भी बहुत कम है. अपनी कंपनी में इसी विविधता को ख़त्म करने के लिए टाटा ग्रुप की ग्लोबल इंजीनियरिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट डिजिटल सर्विसेज कंपनी- 'टाटा टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड' (Tata Technologies Limited) ने कहा कि- "वह साल 2023-24 में 1000 से ज़्यादा महिला इंजीनियरों की भर्ती करेगी."
टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने अपने वर्कफोर्स में लैंगिक विविधता (Gender diversity) को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला किया है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि- "कंपनी ने महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए लैंगिक विविधता (Gender Diversity) आधारित भर्ती अभियान शुरू किया है. इसका नाम ‘रेनबो’ कार्यक्रम (Rainbow Program) रखा गया है." कंपनी का कहना है- "हम 'लीडरब्रिज-विंग्स कार्यक्रम' (Leaderbridge-WINGS program) के माध्यम से भविष्य के लिए महिला लीडरशिप पर अपना ध्यान देंगे. यह प्रोग्राम छह महीने का होगा." टाटा ग्रुप का यह कदम महिला सशक्तिकरण और एक बहुत ऊंची छलांग साबित होगा. महिला वर्कफोर्स को दिया जाने वाला यह बढ़ावा, उन्हें आगे बढ़कर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. इस कदम से महिलाएं को अपनी क्षमताओं पर काम करने का बराबरी का मौका मिलेगा. दूसरी मल्टीनेशनल कंपनियों को भी इस दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए ताकि देश की फीमेल वर्कफोर्स तेजी से आगे बढ़े.