तेलंगाना का कृषि एक्सपोर्ट पहुंचा 10 हज़ार करोड़ के पार

तेलंगाना में कृषि निर्यात 5,000 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 10,000 करोड़ रुपये हो गया. तेलंगाना ने कपास, मसाले, अनाज और मांस के एक्सपोर्ट में वृद्धि की, जिसका श्रेय नई तकनीक के उपयोग और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं को जाता है.

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तेलंगाना की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का 21% कृषि क्षेत्र से आता है. तेलंगाना में कृषि क्षेत्र में वृद्धि प्रदेश की इकनॉमिक स्थिरता की ओर इशारा करती है. राज्य ने 2020 और 2022 के बीच कृषि एक्सपोर्ट में लगभग 40% की वृद्धि हुई. 2020-21 में एक्सपोर्ट की वैल्यू 6,337 करोड़ रुपये थी जो 2021-22 में लगभग 10,000 करोड़ रुपये तक बढ़ गई.  ये आंकड़े कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों को दर्शाते हैं.

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं जिन्होंने कृषि निर्यात में काफ़ी बड़े पैमाने पर बढ़त दर्ज की. पिछले पांच वर्षों में, 2017-18 से 2021-22 तक, तेलंगाना में कृषि निर्यात 5,000 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 10,000 करोड़ रुपये हो गया. तेलंगाना ने कपास, मसाले, अनाज और मांस के एक्सपोर्ट में वृद्धि की, जिसका श्रेय नई तकनीक के उपयोग और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं को जाता है. 2021-22 में कपास का कुल एक्सपोर्ट 3,055 करोड़ रुपये रहा, जबकि मसाले, चाय और कॉफी का एक्सपोर्ट 1,936 करोड़ रुपये हुआ. अनाज ने 1,480 करोड़ रुपये और मांस एक्सपोर्ट ने 268 करोड़ रुपये का योगदान दिया. 2019- 2021 के बीच, राज्य को 3,000 करोड़ रुपयों का एफडीआई मिला. तेलंगाना तिलहन की खेती को बढ़ावा देकर इसे एक्सपोर्ट करने का प्लान भी कर रहा है. 

तकनीक के इस दौर में सफलता का रहस्य समय के साथ बदलने और नवाचार को अपनाने में छुपा है.  भारत में आधी से ज़्यादा आबादी का रोज़गार खेती है. कृषि का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए उपज को बढ़ाना होगा जिसके लिए तकनीक का सहारा लेना अनिवार्य हो जाता है. केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर किसानों की तकनीक तक पहुंच बढ़ानी होगी और उन्हें इसके उपयोग के बारे में जागरूक भी करना होगा. 

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