माइक्रो क्रेडिट सिर्फ भारत में नहीं, पर पूरी दुनिया में कारगर साबित हो रहा है. भारत की बात करें तो स्वयं सहायता समूह पूरी तरह से माइक्रो क्रेडिट पर निर्भर हैं. रीपेमेंट रेट ज़्यादा होने और लोन लेकर देश की इकॉनमी में योगदान देने की वजह से सरकार माइक्रो क्रेडिट को बढ़ावा दे रही है. इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 'वड्डी लेनी रनालु' (ब्याज मुक्त ऋण) योजना के लिए 750 करोड़ रुपये देने की घोषणा की.
नगरपालिका प्रशासन और शहरी विकास मंत्री केटी रामाराव ने कहा कि 750 करोड़ रुपये में से 250 करोड़ रुपये शहरी क्षेत्रों में एसएचजी के लिए जारी किए गए. शेष 500 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज मुक्त ऋण में दिए जाएंगे. केटीआर ने कहा कि महिलाओं के समूह और उनके सदस्य समय पर लोन चूका देते हैं इसीलिए ये रीपेमेंट के मामले में राज्य में टॉप पोज़िशन पर आते हैं. राज्य भर में 18 लाख सदस्यों के साथ 1.77 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं.
सरकार ने महिलाओं के उत्थान, उन्हें सशक्त बनाने और उनके रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लक्ष्य से ऐसी कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत कर रही है. मुख्यमंत्री ने 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' के लिए सभी महिलाओं को बधाई दी और बताया कि कि तेलंगाना नौ साल के शासन में महिलाओं की उन्नति और सशक्तिकरण कार्यक्रमों के ज़रिये महिला कल्याणकारी राज्य के रूप में उभर रहा है.
राज्य सरकार बालिकाओं के जन्म, स्वास्थ्य, सुरक्षा, कल्याण, शिक्षा, विवाह, विकास और सशक्तिकरण जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू कर रही है. ब्याज मुक्त ऋण से महिलाओं के सशक्तिकरण का लक्ष्य एक कदम पास आ जायेगा. अब वे पैसों की चिंता किये बिना अपना रोज़गार शुरू कर सकेंगी. जा वे आर्थिक रूप से मज़बूत होंगी, तब वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी और प्रदेश और देश के विकास में अपना योगदान दे सकेंगी. रविवार विचार का मानना है कि तेलंगाना की ये पहल दूसरे राज्यों में भी होनी चाहिए, ताकि स्वयं सहायता समूहों को और मज़बूती मिल सके और आर्थिक क्रांति की ये मुहीम देश की हर महिला को सशक्त बना सके.