वेस्ट-टू-एनर्जी से तेलंगाना में कमाई

तेलंगाना सरकार भी इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए अगले साल दिसंबर तक 101 मेगावाट बिजली पैदा के लिए हैदराबाद के विरासत डंपयार्ड जवाहरनगर में पांच और वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स (WTE plants) स्थापित करने का फैसला किया है.

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रिसिका जोशी
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waste to energy plant

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देश में हर राज्य की सरकार यह प्रयास करती है कि अपने शहरों, गावों, और कस्बों को स्वच्छ और प्रदुषण मुक्त बना पाए. ऐसे बहुत से तरीके आज हमारे पास उपलब्ध है जिनका इस्तेमाल कर प्रदुषण पर नियंत्रण पाया जा रहा है. सॉलिड वेस्ट (Solid Waste) से घरों में इस्तेमाल की एनर्जी (Energy) बनाना भी एक ऐसा तरीका है, जिसका इस्तेमाल आज पुरे देश में तेजी से बढ़ रहा है. सरकारें प्रदेश को कचरा मुक्त बनाए के लिए इस method को इस्तेमाल करतीं है. तेलंगाना सरकार भी इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए अगले साल दिसंबर तक 101 मेगावाट बिजली पैदा के लिए हैदराबाद के विरासत डंपयार्ड जवाहरनगर में पांच और वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स (WTE plants) स्थापित करने का फैसला किया है.

फ़िलहाल , जो WTE Plant लगा हुआ है, वह 24 मेगावाट बिजली उत्पन्न करने में सक्षम है, जो लगभग 1,500 मीट्रिक टन RDF (रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल) की प्रोसेसिंग करता है. तेलंगाना नगरपालिका प्रशासन विभाग ने जुलाई 2023 तक तैयार होने के लिए डिंडीगुल (15 मेगावाट) और जवाहरनगर चरण 2 (24 मेगावाट), प्यारानगर (15 मेगावाट), यचारम (12 मेगावाट) और बीबीनगर (11) में WTE plants के लिए योजना और लक्ष्य तय किया हैं. इसके साथ, लगभग 5,100 MT RDF, 15,000 MT ठोस कचरे के बराबर, हर दिन WTE के लिए उपयोग किया जाएगा. के टी रामाराव (KTR) ने विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ASCI) के साथ साझेदारी में राज्य सरकार की पहल रीथिंक, रिड्यूस, रीयूज एंड रीसायकल नॉलेज हब लॉन्च किया. रीथिंक एक IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) प्लेटफॉर्म है जो शहरों में RRR केंद्रों को रिसाइकिलर्स, MSME और स्टार्ट-अप से जोड़ता है. 

इसका उद्देश्य वेस्ट मैनेजमेंट की साइकिल में तेजी लाना और कचरे को लैंडफिल और वाटर बॉडीज में जाने से रोकना है. KTR ने कहा- "हैदराबाद में 206 ड्राई रिसोर्स कलेक्शन सेंटर (DRCCs) हैं, जिनमें से 87 का मैनेजमेंट महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा किया जाता है, जिससे हर साल लगभग 6.3 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त होता है." तेलंगाना के self help groups की महलाएं कचरा प्रबंधन में बहुत बड़ा रोल निभा रही है. सरकार की ओर से यह जो पहल की गयी है इसमें SHGs उनकी बहुत मददकर सकते है. महिला SHGs को ठोस कचरे को एनर्जी में बदलने का प्रशिक्षण देकर उन्हें इस कार्य में आगे बड़ा सकते है. महिलाओं और तेलंगाना सरकार, दोनों के लिए यह कदम बहुत अच्छा और मददगार साबित होगा. 

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