"SHG से बढ़ी प्रति व्यक्ति आय"- जयेश रंजन

जयेश रंजन ने बताया की SHG से जुड़कर निचले तबके की महिलाओं ने भी राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने में योगदान दिया है. इसलिए तेलंगाना में स्वयं सहायता समूह बनाने, उन्हें मजबूत करने, और उनकी क्षमता को बढ़ाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है.

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मिस्बाह
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Jayesh Ranjan

Image Credits: CNBCTV18

भारत में तेलंगाना (Telangana) राज्य ने हाल ही में अपने गठन के नौ साल पूरे किये. इन नौ सालों में तेलंगाना ने कई तरह के बदलाव देखें. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (Chief Minister K. Chandrashekhar Rao) ने तेलंगाना को एक महिला कल्याण राज्य में बदलने की इच्छा जताई. महिला सशक्तिकरण (women empowerment) और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए तेलंगाना सरकार में कई पहलों की शुरुआत की है. तेलंगाना ने महिलाओं के लिए भारत के पहले इनक्यूबेटर वी-हब (We-Hub) की शुरुआत की. तेलंगाना  में भारत का पहला ऑल वीमेन इंडस्ट्रियल पार्क (All women Industrial Park) भी है. साथ ही तेलंगाना कामकाजी महिलाओं की सबसे ज़्यादा आबादी वाले राज्यों में से एक है. 

तेलंगाना सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी ऑफ़ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, जयेश रंजन (Jayesh Ranjan, the Principal Secretary of Industries & Commerce and Information Technology) का कहना है कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय (Per capita income) में बढ़ोतरी महिलाओं की वजह से मुमकिन हो सकी है. 2014 के बाद से तेलंगाना की प्रति व्यक्ति आय में 130 % की बढ़ोतरी हो सकी है. शहर के साथ-साथ ग्रामीण महिलायें भी कार्यबल का हिस्सा बनीं हैं. स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) से जुड़कर इन महिलाओं ने अपना रोज़गार शुरू किया और आमदनी कमाई. 

जयेश रंजन ने बताया की SHG से जुड़कर निचले तबके की महिलाओं ने भी राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने में योगदान दिया है. इसलिए तेलंगाना में स्वयं सहायता समूह बनाने, उन्हें मजबूत करने, और उनकी क्षमता को बढ़ाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है. शहरी और ग्रामीण दोनों महिलाओं के लिए सरकार के कार्यक्रमों ने उद्यमिता  का सहयोग करने और उनके छोटे बिज़नेस के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है. 

एचएसबीसी एशिया पैसिफिक (HSBC Asia Pacific) के सह-सीईओ (Co-CEO) सुरेंद्र रोशा (Surendra Rosha) कहते है कि, G20 देशों में बढ़ती महिला भागीदारी दर, संभावित रूप से अगले 5-6 सालों में सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 5.8 ट्रिलियन डॉलर जोड़ सकती है. इस अनुमान को सच करने के लिये पूरे भारत में तरह-तरह के उद्यमों में महिला भागीदारी को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है. स्वयं सहायता समूह एक ऐसा आसान तरीका है जो हर तबके की महिलाओं को उद्यमी बना रहा है, जिससे महिलायें न सिर्फ़ बेहतर ज़िन्दगी जी पा रही हैं, पर राज्य और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान भी दे रही हैं. 

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