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टेक्नीकल टेक्सटाइल इंडस्ट्री भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन में 7%, भारत की निर्यात आय में 12% का, और कुल रोजगार में 21% का योगदान देता है. भारत 6% वैश्विक शेयर के साथ तकनीकी वस्त्र का छठा सबसे बड़ा और दुनिया में कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है. हाल ही में, भारत ने तकनीकी वस्त्र उद्योग (टेक्नीकल टेक्सटाइल इंडस्ट्री) की क्वालिटी को मेंटेन करने के लिए स्टैंडर्ड्स के पहले सेट की घोषणा की. टेक्सटाइल मंत्रालय ने पहले चरण में फायर फइटर्स और वेल्डर के लिए सुरक्षात्मक कपड़ों सहित 19 जियो टेक्सटाइल्स और 12 सुरक्षात्मक वस्त्रों वाली 31 वस्तुओं के लिए दो गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) दिये गये.
मंत्रालय ने दूसरे चरण में 28 वस्तुओं के लिए दो और क्यूसीओ जारी करने की योजना बनाई, जिसमें एग्रो टेक्सटाइल्स की 22 वस्तुएं और मेडिकल टेक्सटाइल्स की छह वस्तुएं शामिल हैं, जबकि तीसरे चरण में 30 और तकनीकी वस्त्र वस्तुओं पर विचार किया जा सकता है. इस फैसले से डंपिंग के ख़िलाफ़ चल रही लड़ाई में फायदा मिल सकेगा. जियो टेक्सटाइल्स और प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल्स के लिए दो क्यूसीओ आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से 180 दिनों के तुरंत बाद लागू किये जायेंगे.
क्यूसीओ के निर्देश घरेलू निर्माताओं के साथ-साथ विदेशी निर्माताओं पर भी समान रूप से लागू किये जायेंगे जो भारत में अपने उत्पादों का निर्यात करना चाहते हैं. आगे बढ़ते हुए, सरकार ने क्यूसीओ के दायरे से डायपर और सैनिटरी नैपकिन को छूट देने का फैसला किया. साथ ही स्वयं सहायता समूहों को इन उत्पादों को बनाने की अनुमति देने की योजना बनाई है क्योंकि ये बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुएं हैं और इन उत्पादों का निर्माण करने वाले कई छोटे खिलाड़ी संघर्ष कर रहे हैं. इस फैसले के बाद छोटे उत्पादकों और स्वयं सहायता समूहों को मार्केट में बने रहने में मदद मिलेगी और ज़रुरत की ये वस्तुएं आसानी से आमजन को सही रेट में मिल सकेगी. इस फैसले के बाद प्रोडक्ट की गुणवत्ता तो बढ़ेगी ही पर, यदि आगे चलकर ये समूह बड़े पैमाने पर उत्पाद करना चाहे तो उसमे भी इन्हें फायदा मिल सकेगा.