'तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम' (TTD) एक स्वतंत्र ट्रस्ट है जो तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर सहित आंध्र प्रदेश के मंदिरों कि देख रेख करता है. हर दिन मंदिरो से ना जाने कितना सूखे फूलों का प्रसाद निकलता है, जिसे 'स्वामी पुष्प प्रसादम' कहते है. इन्ही इस्तेमाल किये गए फूलों से अगरबत्तियां, 'तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम' (टीटीडी) ने स्मृति चिन्ह, दिव्य चित्र, पेपरवेट, कि चेन, टेबल कैलेंडर, पेंडेंट, और अन्य कलाकृतियां बनाना भी शुरू कर दिया है. उपयोग किए गए फूल भक्तों को प्रदान करने के लिए 'टीटीडी' का यही नेक कदम है. मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी और राज्य के अन्य मंत्रियों ने इन उत्पादों कि बहुत सराहना की है. टीटीडी और 'डॉ. वाईएसआर हॉर्टिकल्चरल यूनिवर्सिटी' ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत हिंदू देवी-देवताओं के चित्र बनाने सहित लोकप्रिय उत्पाद बनाने के लिए सूखे फूलों से उत्पाद बनाने की तकनीक प्रदान कि जाएगी जो भक्तों को बहुत आकर्षित करेगा.
इस मुहीम में जुड़ने स्वयं सहायता समूहों की 340 महिला कर्मचारियों के पहले बैच को 'सिट्रस रिसर्च स्टेशन' में उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. अब तक, इन प्रशिक्षित महिलाओं ने A4 आकार के हजारों चित्र और अन्य कलाकृतियां बनाई हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये है. 'टीटीडी' ने एसएचजी महिलाओं को प्रशिक्षण देने के अलावा उपकरणों पर 88 लाख रुपये खर्च किए हैं. भक्तों को इन चित्रों और कलाकृतियों की बिक्री शुरू कर दी गयी है. तिरुमाला, तिरुपति स्थानीय मंदिरों, बैंगलोर, हैदराबाद, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा और चेन्नई में टीटीडी सूचना केंद्रों पर कलाकृतियाँ उपलब्ध कराई जा रही हैं.
उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए 'टीटीडी' ने कलाकृतियों के निर्माण के लिए 'सिट्रस रिसर्च स्टेशन' में एक स्थाई शेड बनाने का फैसला किया है. आंध्र परदेश की सरकार और 'टीटीडी' की तरफ से उठाया गया यह कदम SHG महिलाओं की ज़िन्दगियों को बदल देगा. हर राज्य सरकार को आंध्र प्रदेश से यह समझना चाहिए. मंदिरो से निकलने वाले फूलों का प्रसाद भारी मात्रा में आता है. इस कदम से उनका बेकार जाना भी बच जाएगा और भक्तों के लिए यह एक बहुत नेक तौफा भी साबित होगा. महिलाएं भी इस मुहीम से जुड़कर अपने परिवार को सशक्त बना पाएंगी.